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Class 10 Sanskrit Chapter 1- शुचिपर्यावरणम्- Hindi Translation & English Translation 2023-24

शेमुषी भाग 2 –Class 10 Sanskrit Chapter 1- शुचिपर्यावरणम्– translation in Hindi (Hindi Anuvad) 2023-24, हिंदी अनुवाद, Hindi meaning, Hindi arth, Hindi summary, English Translation, and English Summary are provided here. That Means, word meanings (शब्दार्थ:), अन्वयः, सरलार्थ, are given for the perfect explanation of CBSE Shemushi Bhag 2- Class 10 Sanskrit Chapter 1- शुचिपर्यावरणम् |

Translation in Hindi & English (Meaning/Arth/Anuvad)

प्रथम: पाठ:
Chapter 1 – शुचिपर्यावरणम्

स्वच्छ
पर्यावरण
Clean environment

अयं पाठः आधुनिकसंस्कृतकवेः हरिदत्तशर्मण: “लसल्लतिका” इति रचनासङ्ग्रहात् सङ्कलितोऽस्ति। अत्र कविः महानगराणां यन्त्राधिक्येन प्रवर्धितप्रदूषणोपरि चिन्तितमना: दृश्यते। स: कथयति यद् इदं लौहचक्रं शरीरस्य मनसश्च शोषकम् अस्ति। अस्मादेव वायुमण्डलं मलिनं भवति। कविः महानगरीयजीवनात् सुदूरं नदी-निर्झरं वृक्षसमूहं लताकुञ्जं पक्षिकुलकलरवकूजितं वनप्रदेशं प्रति गमनाय अभिलषति।

प्रस्तुत पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। इसमें कवि ने महानगरों की यांत्रिक बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह लौहचक्र तन-मन का शोषक है, जिससे वायुमण्डल और भूमण्डल दोनों मलिन हो रहे हैं। कवि महानगरीय जीवन से दूर, नदी-निर्झर, वृक्ष समूह, लताकुञ्ज एवं पक्षियों से गुञ्जित वनप्रदेशों की ओर चलने की अभिलाषा व्यक्त करता है।

English Translation: The text presented is compiled from the poetic collection ‘Lasallatika’ written by the modern Sanskrit poet Haridutt Sharma. In this, the poet expressed concern over the increasing pollution caused by the mechanical multiplicity of metros and said that this iron wheel is an exploiter of the body and mind, which is polluting both the atmosphere and the ground. The poet expresses the desire to walk away from the metropolitan life, towards the forested regions, surrounded by river fountains, tree clusters, creeper greeneries, and birds.

दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्।
शुचि-पर्यावरणम् ॥
महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम्।
मन: शोषयत् तनुः पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम् ॥
दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव
जनग्रसनम्। शुचि…॥1॥

अन्वयः -अत्र जीवितम् दुर्वहम् जातं प्रकृति: एव शरणम्। शुचि पर्यावरणम् (भवेत्)। महानगरमध्ये अनिशं चलत् कालायसचक्रम् मनः शोषयत् तनुः पेषयद् सदा वक्रम् भ्रमति अमुना दुर्दान्तै: दशनै: जनग्रसनम् न एव स्यात्।

सरलार्थ: – यहाँ जिंदगी मुश्किल हो गया है, प्रकृति ही शरण है। पर्यावरण शुद्ध हो। महानगरों में निरंतर चलता हुआ लोहे का चक्का मन को सुखाता हुआ, शरीर को पीसता हुआ हमेशा टेढ़ा घूमता है। इन भयानक दाँतों से मानव का विनाश नहीं हो।

English Translation: Life has become difficult here, and nature is only a shelter. The environment should be free of impurities. A continuously running iron wheel in the city always dries the mind, grinds the body, and runs in a circular manner. Humans should not be annihilated (destroyed) by these heinous teeth.

कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति शतशकटीयानम्।
वाष्पयानमाला संधावति वितरन्ती ध्वानम्॥
यानानां पङ्क्तयो ह्यनन्ताः कठिनं संसरणम्। शुचि… ॥2।॥

अन्वयः – शतशकटीयानम् कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति। ध्वानम् वितरन्ती वाष्पयानमाला संधावति। हि यानानां अनन्ता: पङ्क्तयः संसरणं कठिनम्।

सरलार्थ: – सैकड़ों मोटरगाड़ियाँ काजल-के जैसा काला (गंदा) धुआँ छोड़ती हैं शोर मचाते हुए रेलगाड़ी की पंक्ति दौड़ती है निश्चित रुप से वाहनों की असीमित पक्तियों में चलना मुश्किल है।

English Translation: Hundreds of motorcycles emitted black smoke, similar to mascara. The train makes a lot of noise. Of course, walking in endless lines of vehicles is difficult.

वायुमण्डलं भृशं दूषितं न हि निर्मलं जलम्।
कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं धरातलम्॥
करणीयं बहिरन्तर्जगति तु बहु शुद्धीकरणम्। शुचि… ।3॥

अन्वयः -हि भृशं दूषितं वायुमण्डलं निर्मलं जलं न, कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं तु धरातलम् बहिः करणीयम्, जगति अन्तः बहु शुद्धिकरणम्।

सरलार्थ: – निश्चय ही हद से ज्यादा दूषित वायुमण्डल (है), शुद्ध पानी नहीं है, बीमार करने वाली चीजों से मिला हुआ भोजन है (इस) गंदगी को तो धरती से बाहर करना चाहिए और जगत के अंदर बहुत सफाई करनी चाहिए।

English Translation: Certainly, there is a highly contaminated atmosphere, no pure water, and food that has been tainted can make a person sick. This dirt should be removed from the earth, and a lot of cleaning should be done on the inside of the world.

कञ्चित् कालं नय मामस्मान्नगराद् बहुदूरम्।
प्रपश्यामि ग्रामान्ते निर्झर-नदी-पयःपूरम्॥
एकान्ते कान्तारे क्षणमपि मे स्यात् सञ्चरणम्। शुचि…॥14॥

अन्वयःकञ्चित् कालं अस्मात् नगरात् बहुदूरम् माम् नय। ग्रामान्ते निर्झर-नदी-पय:पूरम् प्रपश्यामि। एकान्ते कान्तारे क्षणम् अपि मे सञ्चरणम् स्यात्।

सरलार्थ: – कुछ समय के लिए (ही) इस नगर से बहुत दूर मुझको ले जाओ गाँव के अन्त में झरने, नदी और तालाब देखता हूँ एकान्त वन में कुछ देर के लिए भी मेरा चलना हो।

English Translation: Take me away from this city even for a short period of time. I see waterfalls, rivers, and ponds at the village’s end. I should also go for a walk in a remote forest.

हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया।
कुसुमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचि… ॥।51॥

अन्वयः – मे हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया समीरचालिता कुसुमावलिः वरणीया स्यात्। नवमालिका रसालं रूचिरं संगमनम् मिलिता।

सरलार्थ: – मेरे द्वारा हरे-भरे वृक्षों की, सुन्दर लताओं की, वायु से हिलती हुए फूलों की आनंदित माला चुनने लायक हैं (यहाँ) नई फूलों आदि की माला और आमों का मिला हुआ दिलचस्प संगम है।

English Translation: The blissful garland of flowers moving through the air is worth picking by me. There is a mixed interesting confluence of new flower garlands and mangoes.

अयि चल बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम्।
पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम्॥
चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम्। शुचि… 16॥

अन्वयः- अयि बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम् चल। पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम् चाकचिक्यजाल जीवितरससहरणम् नो कुर्यात्।

सरलार्थ: – अरे भाई! चिड़ियों के समूह की कलरव/चहचहाहट से गुञ्जित वन के देश में चलो शहर के शोर/हल्ला से भ्रमित लोगों के लिए सुख संदेश को धारण करो चकाचौंध वाली संसार को जीवन के रस की चोरी नहीं करनी चाहिए।

English Translation: Walk in the country of forest resonated with the tweet of birds. Give the message of happiness to the confused people by the noise of the city. The dazzling world should not steal life’s juice.

प्रस्तरतले लतातरुगुल्मा नो भवन्तु पिष्टा:।
पाषाणी सभ्यता निसर्गे स्यान्न समाविष्टा ॥
मानवाय जीवनं कामये नो जीवन्मरणम्। शुचि… ॥ 7॥

अन्वयःलतातरुगुल्मा: प्रस्तरतले पिष्टा: नो भवन्तु। निसर्गे पाषाणी सभ्यता समाविष्टा न स्यात्। मानवाय जीवन कामये जीवन् मरणम्।

सरलार्थ: -लता, पेड़ तथा झाड़ी पत्थरों के तल (निचला भाग) में न पिसें प्रकृति में पत्थरों वाली सभ्यता अन्तर्भूत न हों मनुष्यों के लिए जिदंगी की कामना करता हूँ, जीते हुए मरण की नहीं।

English Translation: The vine, tree, and shrub should not be crushed under the stone. The civilization of stones should not be intrinsic in nature. I wish for life for humans, not a living death.

Sanskrit Class 10-Chapter 1- शुचिपर्यावरणम्Hindi translation ended here!👍👍👍

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42 thoughts on “Class 10 Sanskrit Chapter 1- शुचिपर्यावरणम्- Hindi Translation & English Translation 2023-24”

  1. Thanks for your such a easy translation…
    Sir please 🙏🏻 😢 🙂 upload the translation of
    remaining chapters 😌

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