तृतीयः पाठः
गोदोहनम्
गाय का दूध दोहन के लिए आवश्यक समय
एतत् नाट्यांशं ‘चतुर्व्यूहम्’ इति पुस्तकात् संक्षिप्य सम्पाद्य च उद्धृतम्। अस्मिन् नाटके एतादृशस्य जनस्य कथानकम् अस्ति यः धनवान् सुखाकाखी च भवितुम् इच्छुकः मासपर्यन्तं दुग्धदोहनादेव विरमति, येन मासान्ते धेनो: शरीरे सञ्चितं पर्याप्तं दुग्धम् एकवारमेव विक्रीय सम्पत्तिमर्जयितुं समर्थ: भवेत्। परं मासान्ते यदा सः दुग्धदोहनाय प्रयतते तदा सः दुग्धविन्दुम् अपि न प्राप्नोति। दुग्ध प्राप्तिस्थाने सः धेनो: प्रहारै : रक्तरज्जित: भवति, अवगच्छति च यत् दैनन्दिनं कार्य यदि मासपर्यन्तं संगृह्य क्रियते तदा लाभस्य स्थाने हानिरेव भवति।
सरलार्थ: यह नाटक ‘चतुर्व्यूहम्’ पुस्तक से संक्षिप्त (brief) और संपादित (edited) लिया गया है। इस नाटक में ऐसे आदमी की लघु कहानी है जो धनवान और सुखी होने को इक्छुक है। (जो) महीने भर तक (गाय का) दूध दोहन करना ही रोक देता है, जिससे महीने के अंत में गाय के शरीर में जमा हुआ (इकठ्ठा हुआ) पर्याप्त दूध को एक बार में ही बेचकर सम्पत्ति अर्जित करने के लिए समर्थ हो जाए। लेकिन महीने के अंत में जब वह दूध दोहन के लिए प्रयास करता है, तब वह दूध का (एक) बूंद भी प्राप्त नहीं करता है। दूध प्राप्त करने के स्थान पर वह गाय के प्रहार से खून से लथपथ हो जाता है। और (तब) समझता है कि दैनिक कार्य को यदि महीने भर तक संग्रहित किया जाए तब लाभ के स्थान पर हानि ही होती है।
English Translation
Meaning: This play is taken & edited from the book “Chaturvyooham”. In this drama, there is a short story about a man who wants to be rich and happy. Who stops milking the cow for a month, so that at the end of the month, enough milk that has accumulated (collected) in the cow’s body will sell it at one go and hence he can earn a lot of money. But at the end of the month, when he tries to milk, he does not even receive any drop of milk. Instead of getting milk, he gets soaked in blood with the cow kick. And then he understands that if the daily work is postponed for a month, then there is only loss instead of profit.
(प्रथमं दृश्यम्)
(प्रथम दृश्य)
(First Scene)
(मल्लिका मोदकानि रचयन्ती मन्दस्वरेण शिवस्तुतिं करोति)
(ततः प्रविशति मोदकगन्धम् अनुभवन् प्रसन्नमना चन्दन:।)
सरलार्थ: मल्लिका मोदकें बनाती हुई धीमी स्वर में शिव की स्तुति करती है। तब प्रवेश करता है लड्डूओं के सुगंध को अनुभव करता हुआ खुश मन से चन्दन।
English Meaning: Mallika praises Lord Shiva in a slow voice making ‘Laddoos’. Then enters ‘Chandan’ with a happy heart, experiencing the aroma of laddus.
चन्दन: – अहा! सुगन्धस्तु मनोहरः (विलोक्य) अये मोदकानि रच्यन्ते? (प्रसन्न: भूत्वा) आस्वादयामि तावत्। (मोदकं गृहीतुमिच्छति)
मल्लिका – (सक्रोधम्) विरम। विरम। मा स्पृश! एतानि मोदकानि।
चन्दन: – किमर्थं क्रुध्यसि! तव हस्तनिर्मितानि मोदकानि दृष्ट्वा अहं जिह्वालोलुपतां नियन्त्रयितुम् अक्षमः अस्मि, किं न जानासि त्वमिदम्?
Hindi Translation:
सरलार्थ:
चन्दन – वाह! सुगन्ध तो मनोहर है (देखकर) अरे लड्डू बनाये जा रहे हैं? (खुश होकर) चखता हूँ तब तो। (लड्डू लेने के लिए इक्षा करता है।)
मल्लिका – (क्रोध के साथ) रुको। रुको। मत छुओ! इन लड्डूओं को।
चन्दन – किसलिए क्रोध करती हो! तुम्हारे हाथों के बने हुए लड्डूओं को देखकर मैं जीभ के लालच को नियंत्रित करने के लिए असमर्थ हूँ, क्या तुम यह नहीं जानती हो?
English Translation:
Chandan – Wow! The aroma is delightful (seeing the laddoos) OMG! laddoos being made? (with the happy mind) I am tasting it then. ( just wanting to eat laddoos.)
Mallika – (with anger) Wait! Wait! Don’t touch! These laddoos.
Chandan – Why do you rage! I am unable to control the greed of the tongue, seeing the laddoos made by your hands. Do you not know this?
मल्लिका – सम्यग् जानामि नाथ! परम् एतानि मोदकानि पूजानिमित्तानि सन्ति।
चन्दनः – तर्हि, शीघ्रमेव पूजनं सम्पादय। प्रसादं च देहि।
मल्लिका – भो! अत्र पूजनं न भविष्यति । अहं स्वसखिभि: सह श्व: प्रातः काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गमिष्यामि, तत्र गङ्गास्नानं धर्मयात्राञ्च वयं करिष्याम: ।
चन्दनः – सखिभि: सह! न मया सह! (विषादं नाटयति)
मल्लिका – आम्। चम्पा, गौरी, माया, मोहिनी, कपिलाद्या: सर्वाः गच्छन्ति। अतः, मया सह तवागमनस्य औचित्यं नास्ति। वयं सप्ताहान्ते प्रत्यागमिष्याम:। तावत्, गृह व्यवस्थां, धेनो: दुग्धदोहनव्यवस्थाञ्च परिपालय।
Hindi Translation:
सरलार्थ:
मल्लिका – ठीक से जानती हूँ नाथ! लेकिन ये लड्डूएँ पूजा के लिए हैं।
चन्दन – तब जल्दी ही पूजा को समाप्त करके और प्रसाद दो।
मल्लिका – अरे! यहाँ पूजन नहीं होगा। मैं अपने सखियों के साथ कल सुबह काशीविश्वनाथमन्दिर जाऊँगी, वहाँ गंगास्नान और धर्मयात्रा हमलोग करेंगे।
चन्दन – सखियों के साथ! मेरे साथ नहीं! (दुःखी स्वभाव में नाटक करते हुए।)
मल्लिका – हाँ। चम्पा, गौरी, माया, मोहिनी, कपिला आदि सभी जाती हैं। इसलिए, मेरे साथ आपका जाना उचित नहीं है। हमलोग सप्ताह के अंत तक आ जाएंगे तबतक (आप) घर की व्यवस्था को और गाय के दूध दोहन की व्यवस्था को देखो (सम्भालो)।
English Translation:
Mallika – I know Lord (Pran-Nath) very well! But these laddoos are for worship.
Chandan – Then soon finish the worship and offer it to me.
Mallika – Oh no! There will not be worship here. I will go to ‘Kashivishwanath’ temple tomorrow morning with my friends, we will do ‘Gangasnan’ and pilgrimage there.
Chandan – With friends? not with me! (Pretending to be sad.)
Mallika – Yes. Champa, Gauri, Maya, Mohini, Kapila etc. will all go. Therefore, it is not right for you to accompany me. We will come by the end of the week till then (you) look at the housekeeping and milking of the cow.
(द्वितीयं दृश्यम्)
चन्दनः – अस्तु। गच्छ। सखिभि: सह धर्मयात्रया आनन्दिता च भव। अहं सर्वमपि परिपालयिष्यामि। शिवास्ते सन्तु पन्थान:।
चन्दनः – मल्लिका तु धर्मयात्रायै गता। अस्तु दुग्धदोहनं कृत्वा ततः स्वप्रातराशस्य प्रबन्धं करिष्यामि। (स्त्रीवेषं धृत्वा, दुग्धपात्रहस्तः नन्दिन्याः समीपं गच्छति)
उमा – मातुलानि! मातुलानि!
चन्दनः – उमे! अहं तु मातुल:। तव मातुलानि तु गङ्गास्नानार्थ काशीं गता अस्ति । कथय!
किं ते प्रियं करवाणि?
Hindi Translation:
सरलार्थ:
(द्वितीय दृश्य)
चन्दन – अच्छा। जाओ। सखियों के साथ और धर्मयात्रा आनंदित हो। मैं भी सब देख लूँगा। तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।
चन्दन- मल्लिका तो धर्मयात्रा के लिए गई। ठीक है। दूध दोहन करके फिर अपना सुबह का भोजन का प्रबंध करूँगा। (स्त्रीवेष धरकर, दूध का पात्र हाथ में लिए हुए गाय के नजदीक जाता है।)
उमा – मामी! मामी!
चन्दन – उमा! मैं तो मामा हूँ। तुम्हारी मामी तो गंगा स्नान के लिए काशी गयी है। कहो! तुम्हारे लिए क्या अच्छा करुँ?
English Translation:
(2nd Scene)
Chandan – Okay! go. Enjoy with friends and your pilgrimage be blissful. I will also take care of everything here. Have a nice journey.
Chandan-Mallika went for the pilgrimage. Okay. I will manage my morning meal after milking. (He came to the cow as a woman withholding a container.)
Uma – Aunty! Aunty!
Chandan – Uma! I am your maternal uncle.😀 Your aunt has gone to ‘Kashi’ for bathing in the Ganga. Say! What should I do for you?
उमा – मातुल! पितामह: कथयति, मासानन्तरम् अस्मत् गृहे महोत्सवः भविष्यति । तत्र त्रिशत-सेटकमितं दुग्धम् अपेक्षते। एषा व्यवस्था भवद्भिः करणीया।
चन्दनः – (प्रसन्नमनसा) त्रिशत-सेटककपरिमितं दुग्धम्! शोभनम्। दुग्धव्यवस्था भविष्यति एव इति पितामहं प्रति त्वया वक्तव्यम्।
उमा – धन्यवाद: मातुल! याम्यधुना। (सा निर्गता)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
उमा – मामा! दादाजी कहते हैं महीने बाद हमारे घर में महोत्सव होगा। वहाँ तीन सौ लीटर दूध चाहिए। यह व्यवस्था आपके द्वारा करनी है।
चन्दन – (प्रसन्न मन से) तीन सौ लीटर दूध! सुन्दर। दूध की व्यवस्था हो जाएगी। ऐसा दादाजी को तुम्हें बोलना चाहिए।
उमा – धन्यवाद मामा! चलती हूँ अब। (वह चली जाती है।)
English Translation:
Uma – Uncle! My grandfather says that there will be a festival in our house a month later. So, three hundred litres of milk is required. This is an arrangement to be made by you.
Chandan – (with a happy heart) Three hundred liters of milk! Beautiful! Milk will be arranged. You should inform your grandfather.
Uma – Thanks, uncle! I am going now. (she goes)
(तृतीयं दृश्यम्)
चन्दनः – (प्रसन्न भूत्वा, अङ्कलिषु गणयन्) अहो! सेटक त्रिशतकानि पयांसि! अनेन तु बहुधनं लप्स्ये। (नन्दिनीं दृष्ट्वा) भो न्दिनि! तव कृपया तु अहं धनिकः भविष्यामि। (प्रसन्न: सः धेनो: बहुसेवां करोति)
चन्दनः – (चिन्तयति) मासान्ते एव दुग्धस्य आवश्यकता भवति । यदि प्रतिदिनं दोहनं करोमि तर्हि दुग्धं सुरक्षितं न तिष्ठति। इदानीं किं करवाणि? भवतु नाम मासान्ते एव सम्पूर्णतया दुग्धदोहनं करोमि ।
(एवं क्रमेण सप्तदिनानि व्यतीतानि। सप्ताहान्ते मल्लिका प्रत्यागच्छति)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
(तीसरा दृश्य)
चन्दन – (प्रसन्न होकर उंगलियों पर गिना) अरे! तीन सौ लीटर दूध! इससे तो बहुत धन मिलेगा। (नन्दिनी/गाय को देखकर) हे गाय! तुम्हारी कृपा से तो मैं धनिक हो जाऊँगा भविष्यामि। (प्रसन्नचित वह गाय की बहुत सेवा करता है।)
चन्दन – (सोचता है) महीने के अंत में ही दूध की आवश्यकता है। यदि प्रतिदिन दोहन करता हूँ तब दूध सुरक्षित नहीं रहेगा। अब क्या करना चाहिए? आपके लिए महीने के अंत ही पूरी तरह से दूध दुहता हूँ।
(इस प्रकार से सात दिन व्यतीत हो जाते हैं। सप्ताह के अंत में मल्लिका आती है)
English Translation:
(Third Scene)
Chandan – (gladly counted on the fingers)! Oh, Three hundred liters of milk! It will give a lot of money. (Looking at Nandini /cow). Hey, cow! By your grace, I will be rich. (Pleased he serves the cow a lot.)
Chandan – (he thinks) Milk is required at the end of the month. If I milk daily then the milk will not be safe. What should we do now? I should directly milk you (cow) at the end of the month.
(Thus seven days are spent. Mallika comes at the end of the week).
मल्लिका – ( प्रविश्य) स्वामिन्! प्रत्यागता अहम्। आस्वादय प्रसादम्॥
(चन्दन: मोदकानि खादति वदति च)
चन्दनः – मल्लिके! तव यात्रा तु सम्यक् सफला जाता? काशीविश्वनाथस्य कृपया प्रियं निवेदयामि।
मल्लिका – (साश्चर्यम्) एवम्। धर्मयात्रातिरिक्तं प्रियतरं किम् ?
Hindi Translation:
सरलार्थ:
मल्लिका – ( प्रविश करके ) स्वामी! आ गई मैं। प्रसाद को चखिए।
(चन्दन लड्डूओं को खाता है और बोलता है)
चन्दन – मल्लिका! तुम्हारी यात्रा तो ठीक से सफल हो गयी? काशीविश्वनाथ की कृपा से अच्छा बोलता हूँ।
मल्लिका – (आश्चर्य से) ऐसा। धर्मयात्रा के अतिरिक्त (और) क्या अच्छा (प्रिय) है?
English Translation:
Mallika – (After entering) Swami! I have come. Taste the holy offerings.
(Chandan eats laddoos and speaks)
Chandan – Mallika! Has your journey been successful? By the grace of Kashivishwanath, I think, it would be nice.
Mallika – (by surprise) Such. What else is good apart from the pilgrimage?
चन्दन: – ग्रामप्रमुखस्य गृहे महोत्सवः मासान्ते भविष्यति। तत्र त्रिशत- सेटकमितं दुग्धम् अस्माभिः दातव्यम् अस्ति।
मल्लिका – किन्तु एतावन्मात्रं दुग्धं कुत: प्राप्स्यामः।
चन्दनः – विचारय मल्लिके! प्रतिदिनं दोहनं कृत्वा दुग्धं स्थापयामः चेत् तत् सुरक्षितं न तिष्ठति। अत एव दुग्धदोहनं न क्रियते। उत्सवदिने एव समग्रं दुग्ध धोक्ष्यावः।
मल्लिका – स्वामिन्! त्वं तु चतुरतमः। अत्युत्तमः विचार:। अधुना दुग्धदोहनं विहाय केवलं नन्दिन्या: सेवाम् एव करिष्यावः। अनेन अधिकाधिकं दुग्धं मासान्ते प्राप्स्यावः।
Hindi Translation:
सरलार्थ:
चन्दन – ग्राम प्रमुख के घर में बड़ा उत्त्सव महीने के अंत में होगा। वहाँ तीन सौ लीटर दूध हमारे द्वारा देना है।
मल्लिका – लेकिन इतना मात्रा में दूध कहाँ से लाएँगे।
चन्दन – विचार करो मल्लिका ! अगर प्रतिदिन दोहन करके दूध रखेंगे (तो) वह सुरक्षित नहीं रहेगा। इसलिए दूध दोहन नहीं करते हैं। उत्सव के दिन में ही एव सारा दूध दूह लेंगे।
मल्लिका – स्वामी! तुम तो बहुत चतुर हो। अति उत्तम विचार है। अब दूध दोहन छोड़कर केवल नन्दिनी (गाय) की सेवा ही करेंगे। इससे अधिक से अधिक दूध (हमलोग) महीने के अंत में प्राप्त करेंगे।
English Translation:
Chandan – The big celebration will going to take place in the house of the village head at the end of the month. There we have to give 300 liters of milk.
Mallika – But from where will we get such an amount of milk.
Chandan – Think Mallika! If you keep milk by milking every day (then) it will not be good. Therefore, we do not exploit milk. So, all the milk will be milked directly on the day of the festival.
Mallika – Swami! You are very smart. This is a great idea. Now leaving milking, we will only serve Nandini (cow). At the end of the month, more and more milk (we) will get.
(द्वावेव धेनो: सेवायां निरतौ भवत:।अस्मिन् क्रमे घासादिकं गुडादिकं च भोजयत:। कदाचित् विषाणयोः तैलं लेपयत: तिलकं धारयत:, रात्रौ नीराजनेनापि तोषयतः)
चन्दनः – मल्लिके! आगच्छ। कुम्भकारं प्रति चलाव:। दुग्धार्थं पात्रप्रबन्धोऽपि करणीयः। (द्वावेव निर्गतौ)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
(दोनों ही गाय की सेवा में लग जाते हैं। इस क्रम में घास आदि और गुड़ आदि खिलाते हैं। कभी सींगों में तेल लगाते हैं, तिलक लगाते हैं, रात को आरती से भी संतुष्ट करते हैं। )
चन्दनः – हे मल्लिका! आओ। कुम्हार के पास चलते हैं। दूध के लिए पात्र का प्रबंध भी करना है। (दोनों ही जाते हैं।)
English Translation:
(Both are engaged in the serving of the cow. In this order, they feed grass and jaggery, etc. Sometimes, they apply oil to cow horns, apply tilak, also make them satisfied with the aarti at night.)
Chandan: – O Mallika! come. Let’s go to the potter. Also, we have to manage the pot for milk. (Both of them go.)
(चतुर्थं दृश्यम्)
कुम्भकारः – (घटरचनायां लीन: गायति)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
(चौथा दृश्य)
कुम्हार – घड़ा बनाने में लीन/मग्न होकर (गाना) गाता है।
English Translation:
(Fourth Scene)
Potter – Singing songs, engrossed in making the pitcher.
ज्ञात्वाऽपि जीविकाहेतोः रचयामि घटानहम्।
जीवनं भङ्गुरं सर्वं यथैष मृत्तिकाघटः॥
Hindi Translation: जानकर भी, जीविका के लिए, मैं घड़ा बनाता हूँ। (क्या जानकर) जीवन में सबकुछ भंगुर है (नष्ट होने वाला) जैसे ये मिट्टी के घड़े।
अन्वय: – यथा एष मृत्तिकाघट:- (तथा) सर्वं जीवनं भङ्गुरं ज्ञात्वा अपि घटान् रचयामि ।
सरलार्थ: जैसे यह मिट्टी का घड़ा (टूट जाता है/भंगुर है)। वैसे ही जीवन (में) सब भंगुर (छनिक) है। यह जानकर भी घड़ों को बनाता हूँ ।
English Translation:
Like this earthen pot (breakable/brittle). In the same way, everything is brittle in life. Knowing this, I although make pitchers.
चन्दनः – नमस्करोमि तात! पञ्चदश घटान् इच्छामि। किं दास्यसि?
देवेश:– कथं न? विक्रयणाय एव एते। गृहाण घटान्। पञ्चशतोत्तर-रूप्यकाणि च देहि।
चन्दनः – साधु। परं मूल्यं तु दुग्धं विक्रीय एव दातुं शक्यते।
देवेशः – क्षम्यतां पुत्र! मूल्यं विना तु एकमपि घटं न दास्यामि।
Hindi Translation:
सरलार्थ:
चन्दन – नमस्कार करता हूँ चाचा! पंद्रह (15) घड़ों को चाहता हूँ। क्या दोगे?
देवेश- क्यों नहीं? बेचने के लिए ही हैं ये। लेलो घड़ों को। और पांच सौ (500) रुपये दे दो।
चन्दन – सही बात है। परन्तु पैसे तो दूध बेच कर ही दे सकूँगा।
देवेश – क्षमा करो पुत्र! बिना पैसे के तो एक भी घड़ा नहीं दूंगा।
English Translation:
Chandan – Hello uncle! I want fifteen (15) pitchers. Will you give?
Devesh – Why not? These are for sale only. Take the pitchers. And give five hundred (500) rupees.
Chandan – That’s right. But I can give money only by selling milk.
Devesh – Sorry son! I will not give a single pitcher without money.🤔
मल्लिका – (स्वाभूषणं दातुमिच्छति) तात! यदि अधुनैव मूल्यम् आवश्यकं तर्हि, गृहाण एतत् आभूषणम्।
देवेश: – पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि। कथमपि नेच्छामि त्वाम् आभूषणविहीनां
कर्तुम्। नयतु यथाभिलषितान् घटान्। दुग्धं विक्रीय एव घटमूल्यम् ददातु।
उभौ – धन्योऽसि तात! धन्योऽसि ।
Hindi Translation:
सरलार्थ:
मल्लिका – (अपने गहनें देने की इक्षा करती है ) चाचा! यदि अभी ही पैसे आवश्यक हैं तो ये आभूषण लेलो।
देवेश – पुत्री! मैं (ये) पाप कर्म नहीं करता हूँ। किसी भी तरह से नहीं चाहता हूँ तुम्हें आभूषणविहीन करना। लेलो जितनी मर्जी (उतने) घड़ों को। दूध बेचकर ही घड़ों का मूल्य देना।
दोनों – धन्य हैं तात! धन्य हैं।
English Translation:
Mallika – (wants to give her Jewelry) uncle! If money is still necessary, then take these Jewelries.
Devesh – Daughter! I do not do these sinful deeds. By no means, I don’t want to deprive you of jewelry. Take as many pitchers as you want. Pay the price of pots by selling milk.
Both – Blessed uncle, you are blessed.
‘पञ्चमं दृश्यम्)
(मासानन्तरं सन्ध्याकाल:। एकत्र रिक्ता: नूतनघटाः सन्ति। दुग्धक्रेतारः अन्ये च ग्रामवासिन: अपरत्र आसीनाः)
चन्दनः – (धेनुं प्रणम्य, मङ्गलाचरणं विधाय, मल्लिकाम् आह्वयति) मल्लिके! सत्वरम् आगच्छ।
मल्लिका – आयामि नाथ! दोहनम् आरभस्व तावत्।
चन्दनः – (यदा धेनो: समीपं गत्वा दोग्धुम् इच्छति, तदा धेनुः पृष्ठपादेन प्रहरति। चन्दनश्च पात्रेण सह पतति) नन्दिनि! दुग्धं देहि। किं जातं ते? (पुन: प्रयासं करोति) (नन्दिनी च पुनः पुनः पादप्रहारेण ताडयित्वा चन्दनं रक्तरज्जितं करोति) हा! हतोऽस्मि । (चीत्कारं कुर्वन् पतति) (सर्वे आश्चर्येण चन्दनम् अन्योन्यं च पश्यन्ति)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
(पाँचवा दृश्य)
(महीने के अंत में शाम को – नए घड़े एकत्र (करके) खाली (रखे) हैं। दूध खरीदने वाले और अन्य ग्रामवासी आसपास बैठे हैं )
चन्दन – (गाय को प्रणाम करके, मङ्गलाचरण पढ़के, मल्लिका को बुलाता है) मल्लिका ! जल्दी से आओ।
मल्लिका – आ रही हूँ नाथ! दुहना शुरू करो तबतक।
चन्दन – (जब गाय के समीप जाकर दुहने की इक्षा करता है तब गाय (अपने) पीछे वाले पैर से मरती है। और चन्दन पात्र के साथ गिर जाता है (फेका जाता है) नन्दिनि (गाय का नाम)! दूध दो। क्या हुआ तुम्हें? (फिर से प्रयास करता है) (और नन्दिनी बार-बार पैर के प्रहार से चन्दन को मारकर खून से लथपथ कर देती है) हाय ! मुझे मार दी । (चिल्लाते हुए गिरता है) (सभी आश्यर्य के साथ चन्दन को और एक-दूसरे को देखते हैं )
English Translation:
(Fifth Scene)
(In the evening at the end of the month: Empty pitchers are collected & kept. Milk buyers and other villagers are sitting around)😁😀
Chandan – (After greeting the cow, reading ‘Maglacharan’ (mantras for starting anything), calls Mallika. Mallika! Come quickly.
Mallika – Am coming ‘Nath’! Till then, start milking.
Chandan – (When approaching the cow and trying to be milked, the cow kicks with her back foot. And Chandan falls with the pot. Nandini😡 (cow’s name)! Give milk. What happened to you? (Tries again) (and Nandini repeatedly kicks Chandan making him running with blood) Oh shit! Killed me. (Falls screaming) (Everyone looks at Chandan and each other with astonishment).
मल्लिका – (चीत्कारं श्रुत्वा, झटिति प्रविश्य) नाथ! किं जातम्? कथं त्वं रक्तरज्जित:?
चन्दनः – धेनुः दोग्धुम् अनुमतिम् एव न ददाति। दोहनप्रक्रियाम् आरभमाणम् एव ताडयति माम्।
(मल्लिका धेनुं स्नेहेन वात्सल्येन च आकार्य दोग्धुं प्रयतते। किन्तु, धेनुः दुग्धहीना एव इति अवगच्छति।)
मल्लिका – (चन्दनं प्रति) नाथ! अत्यनुचितं कृतम् आवाभ्याम् यत्, मासपर्यन्तं धेनो: दोहनं कृतम्। सा पीडम् अनुभवति । अत एव ताडयति ।
चन्दनः – देवि! मयापि ज्ञातं यत्, अस्माभि: सर्वथा अनुचितमेव कृतं यत् , पूर्णमासपर्यन्तं
दोहनं न कृतम्। अत एव, दुग्धं शुष्कं जातम्। सत्यमेव उक्तम्-
Hindi Translation:
सरलार्थ:
मल्लिका – (चिल्लाहट सुनकर जल्दी से प्रवेश करके) नाथ! क्या हुआ? आप रक्तरञ्जित (खून से लथपथ) कैसे हो गए?
चन्दन – गाय दूध दुहने की अनुमति ही नहीं देती है। दोहन प्रक्रिया को शुरू करते ही मुझे मरती है।
(मल्लिका धेनु को प्यार से और दुलार से दुहने का प्रयास करती है। परन्तु गाय दूधहीन है ऐसा (वो अंत में) समझ जाती है।)
मल्लिका – (चन्दन से ) नाथ! अति अनुचित (कार्य) हमदोनों ने किया कि महीने भर गाय को नहीं दुहा। वह कष्ट महसूस कर रही है। इसलिए मार रही है।
चन्दन – देवी! मेरे द्वारा भी जान लिया गया कि हमलोगों के द्वारा सभी प्रकार से अनुचित ही किया गया कि पूरे महीने भर दोहन नहीं किया गया इसीलिए दूध सुख गया है सत्य ही कहा गया है –
English Translation:
Mallika – (entering quickly after hearing the shout) Nath! What happened? How did you become blood-soaked?
Chandan – Cow does not allow milking. She kicks me whenever I am trying to milk.
(Mallika tries to milk cow with love and care. But she understands lastly that the cow is milkless.
Mallika – (to Chandan) Nath! Very unfair (work), both of us did. We didn’t milk the cow for a month. Now, she is feeling pain. That’s why she is kicking.
Chandan – Devi! It is also known by me that we were doing unfair with the cow whole month that we were not milking her that is why the milk has dried up. Hence, it has been told truly –
कार्यमद्यतनीयं यत् तदद्यैव विधीयताम्।
विपरीते गतिर्यस्य स कष्टं लभते ध्रुवम्॥
अन्वय: – यत् अद्यतनीयं कार्य तत् अद्यैव विधीयताम्। यस्य गति: विपरीते (अस्ति) सः ध्रुवं कष्टं लभते।
सरलार्थ: जो काम आज करना है उसे आज ही करना चाहिए। जो इसके उलट जाता है वह निश्चय ही दुःख को प्राप्त करता है।
English Translation:
The work that has to be done today should be done today. The one who goes to the opposite of this definitely attains grief.
मल्लिका – आम् भर्त:! सत्यमेव। मयापि पठितं यत्-
Hindi Translation:
सरलार्थ:
मल्लिका – हाँ पति देव! सत्य ही है, मेरे द्वारा भी पढ़ा गया है कि–
English Translation:
Mallika – Yes, my love, it is the truth, I have also read that-
सुविचार्य विधातव्यं कार्य कल्याणकाङ्किषिणा।
यः करोत्यविचार्यैतत् स विषीदति मानव:॥
अन्वय: – कल्याणकाङ्किषिणा कार्य सुविचार्य (एव) विधातव्यम्। य: मानवः एतत् अविचार्य करोति स: विषीदति।
सरलार्थ: कल्याण चाहने वाले के द्वारा (कोई) काम अच्छे से विचार करके ही करना चाहिए। जो मानव यह (काम) बिना विचार किये करता है वो दुःखी होता है।
English Translation:
Any work done by the welfare seeker should be done with due consideration. A human who does any work without thinking is grieving.
किन्तु प्रत्यक्षतया अद्य एव अनुभूतम् एतत्।
सर्वे – दिनस्य कार्य तस्मिन्नेव दिने कर्तव्यम्। यः एवं न करोति सः कष्टं लभते ध्रुवम्।
(जवनिका पतनम् )
( सर्वे मिलित्वा गायन्ति।)
Hindi Translation:
सरलार्थ:
परन्तु प्रत्यक्ष रूप में यह आज ही अनुभव हुआ।
सभी – दिन का काम उसी दिन में ही करना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता है वह निश्चय ही कष्ट पाता है।
(पर्दा गिरता है)
(सभी मिलकर गाते हैं)
English Translation:
But this was directly experienced today.
All– Today’s work should be done today. One who does not do so surely suffers.
(Curtain falls)
(All sing together)
आदानस्य प्रदानस्य कर्तव्यस्य च कर्मणः।
क्षिप्रमक्रियमाणस्य कालः पिबति तद्रसम् ॥
अन्वय: – क्षिप्रम् अक्रियमाणस्य आदानस्य प्रदानस्य कर्तव्यस्य च कर्मणः तद्रसं काल: पिबति।
सरलार्थ: शीघ्रता से (समय) पर (अगर) कर्म और कर्त्तव्य का आदान-प्रदान नहीं होता है तब काल (समय) कर्म के उस रस (मिठास) को पी जाता है।
मतलब किसी भी कार्य को अगर समय पर न किया जाये तो उस काम का मज़ा (रस) हमें प्राप्त नहीं होता, काल (समय) को ही हो जाता है।
English Translation:
If the exchange of deed and duty is not on time, then time drinks the sweetness of deed.
Meaning, if any work is not done on time, then we do not get the profit of that work.
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