कहानी से
प्रश्न 1. अंडों के बारे में केशव और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे? वे आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर- केशव और श्याम दोनों छोटे बच्चें थे। उनका बालमन जिज्ञासा से भरा हुआ था। उन्होंने कभी भी अंडे नहीं देखे थे इसीलिए उनके मन में तरह तरह के सवाल आते थे, जैसे- अंडे कितने बड़े होंगे? कितने होंगे? किस रंग के होंगे? उनमे से बच्चे किस तरह से निकलेंगे? क्या खाते होंगे?
उनके सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं था। न उनकी अम्मा को घर के काम धंधे से फुर्सत थी, न ही बाबूजी को पढ़ने लिखने से , इसीलिए वो आपस में ही सवाल जवाब करके अपने दिल को तस्सली दे दिया करते थे।
प्रश्न 2. केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?
उत्तर- केशव और श्यामा ने सोचा की अब बच्चे निकल आये होंगे तो उनके लिए दाना पानी का प्रबंध करना होगा। उन्होंने सोचा की चिड़िया बेचारी कहा से इतना दाना ला पायेगी जिनसे सारे बच्चों का पेट भर सके, वो तो भूख के मारे चूं -चूं करके मर जाएंगे। इसीलिए केशव ने शयामा से टोकरी मंगवाया जिससे वे चिड़िया के लिए छत बना सके, चिथड़े से उनके लिए गद्दी बना सके और दाना पानी मंगवाया जिससे चिड़िया के बच्चे अपना भूख मिटा सके।
प्रश्न 3. केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी?
उत्तर- केशव और श्यामा ने अपने तरफ से अंडे की रक्षा करने के पूरी कोशिश की परन्तु यह उनकी नादानी सिद्ध हुई। केशव और श्यामा दोनों बच्चे थे, वे नहीं जानते थे कि चिड़िया अपने अंडे की रक्षा स्वयं करती है। अगर उनके छूने से अंडा गन्दा हो गया तो चिड़िया उसे छोड़कर उड़ जाएंगी। सही मायने में वे अंडे की रक्षा करना चाहते थे लेकिन नादानी में हत्या हो गई ।
कहानी से आगे
प्रश्न 1. केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर- केशव और श्यामा ने अंडे के बारे में यही अनुमान लगाया की अब बच्चे निकल आये होंगे। चिड़िया इतना दाना कहाँ से लाएगी जिससे उनके बच्चे अपना पेट भर सकें। गरीब के बच्चे चूं-चूं करके मर ही जाएंगे। उन्हें धुप की गर्मी से भी कष्ट होगा।
यदि उनके जगह पर हम होते तो यही अनुमान लगाते कि कैसे उनके लिए उनके जरुरत का प्रत्येक सामान का प्रबंध करें। हम ये कोशिश करते कि अंडे को किसी भी प्रकार का हानि न हो। यही अनुमान लगाते कि अंडे को जंगली जानवर से खतरा होगा इसीलिए उनके लिए सारी सुविधा का प्रबंधन करते।
प्रश्न 2. माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर- माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर निकल आए क्योंकि माँ उनको देख लेती तो अंडों को हाथ भी नहीं लगाने देती। वही एक ऐसा समय था जब वे बाहर आकर चुपचाप चिड़िया के बच्चे को देख सकते थे। वे दोनों पिटाई के डर से माँ के पूछने पर भी बाहर निकलने का कारण नहीं बताया।
प्रश्न 3. प्रेमचंद जी ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
उत्तर- ” नादान बच्चें “, ” नादानी या हत्या ” ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. श्यामा माँ से बोली, “मैंने आपकी बातचीत सुन ली है।”
ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-
उत्तर-
एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा, “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”
प्रश्न 2. तगड़े बच्चे
मसालेदार सब्ज़ी
बड़ा अंडा
यहाँ रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे; सब्ज़ी और अंडे की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं, इसलिए विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे बुरे हर तरह के गुण आते हैं। आप चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनके वाक्य बनाओ।
उत्तर- छात्र स्वयं भी प्रयास करें।
मीठा – गन्ना बहुत ही मीठा है।
जंगली कुत्ता – जंगली कुत्ता बहुत खतरनाक होता है।
गोरी लड़की – भास्कर को गोरी लड़की बहुत पसंद है।
काली लड़की – काली लड़की को कोई पसंद नहीं करता है।
प्रश्न 3.
(क) केशव ने झुंझलाकर कहा ……..
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला …………
(ग) केशव घबराकर उठा
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा ………..
(ङ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा …………
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं, क्योंकि ये बताते हैं। कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे क्रिया हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर-
(क) झुंझलाकर – भास्कर का बात सुनकर मैं झुंझलाकर चली गई ।
(ख) बनाकर – भास्कर मेरे लिए अत्यधिक स्वादिस्ट भोजन बनाकर रख्खे हैं।
(ग) घबराकर – मेरा खबर मिलते ही भास्कर घबराकर उठें।
(घ) टिकाकर – भास्कर ने नजरें टिकाकर निशाना साधा।
(ङ) गिड़गिड़ाकर – मैंने गिड़गिड़ाकर भास्कर से माफी माँगी।
प्रश्न 4. नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का अंश दिया गया है। आप इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ।
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या हूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है। यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं चाहें तो महीनो पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे देखें तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है।
उत्तर-
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया, “खोमचेवाले !” खोमचेवाला-“कहिए, क्या हूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है, हमारा-आपका नहीं।’ मोटेराम- “अबे, क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीनों पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखें तो, वहाँ क्या रेंग रहा है। मुझे भय होता है।”