दोहे से
प्रश्न 1. पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए। .
उत्तर-
कथन को प्रमाणित करने वाले दोहे –
(i) तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान।।
अर्थ – कवि रहीम कहते है कि जिस प्रकार पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपना इकठ्ठा किया हुआ धन से दूसरों का भला करते हैं। अतः निस्वार्थ भावना से दूसरों का हमेशा हित करना चाहिए।
(ii) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।
अर्थ – जिस प्रकार आश्विन के महीने में बादल केवल गहराते हैं बरसते नहीं उसी प्रकार जब कोई अमीर व्यक्ति गरीब हो जाता है तो उसके मुख से बस घमंड से पूर्ण बड़ी.बड़ी बातें ही सुनाई देती हैं जिनका कोई मूल्य नहीं होता।
(iii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।
अर्थ – रहीम दास जी ने इस दोहे में धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार पृथ्वी सर्दी-गर्मी, वर्षा की विपरित परिस्थितियों को झेल लेती है। उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सभी तूफान अर्थात हर सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।
कथन वाले दोहे –
(i) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ।।
अर्थ – कवि रहीम दास जी ने इस दोहे में सच्चे मित्र के चरित्र को दर्शाया है। वो कहते हैं कि सगे-संबंधी रूपी संपति बहुत प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। परन्तु जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है, मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।
(ii) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह ।।
अर्थ – प्रस्तुत दोहे में रहीम दास जी ने मछली के जल के प्रति घनिष्ट तथा अत्यंत प्रेम को दर्शाया है। वो कहते हैं मछली पकड़ने के लिए जब जाल पानी में डाला जाता है तो जाल पानी से बाहर खींचते ही जल उसी समय जाल से निकल जाती है, क्योंकि मछली जल के बिना जीवित नहीं रह सकती और वह जल से अलग होते ही मर जाती है।
प्रश्न 2. रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- आश्विन (क्वार) के महीने में आसमान में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए धनी व्यक्तियों से की है, क्योंकि दोनों गरजकर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, धनी से बने निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता। वे अपने वर्तमान परिस्थितियों को न देख कर अपने बीते हुए सुखी दिनों की बात करते रहते हैं जो केवल अर्थहीन है।
दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनि व्यक्ति को दर्शाता है। जिस प्रकार सावन के बादल गरजते है और बरसते भी है उसी प्रकार धनि के मुख से सुनने कथन कर्णप्रिये होते हैं।
दोहों के आगे
प्रश्न 1. नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उसके क्या लाभ होंगे? सोचिए
और लिखिए
(क) तरुवर फल ……..
……………. संचहिं सुजान।
उत्तर- कवि रहीम जी इस दोहे के माध्यम से कहते है कि जिस प्रकार पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपना इकठ्ठा किया हुआ धन से दूसरों का भला करते हैं। अतः निस्वार्थ भावना से दूसरों का हमेशा हित करना चाहिए। यदि हम इसे अपने जीवन में उतार लेंगे तो प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति सुखी से रह पाएगा। इस संसार से दुःख का साया बहुत हद तक कम हो जाएगा।
(ख) धरती की-सी ………….
……. यह देह॥
उत्तर- रहीम दास जी ने इस दोहे के माध्यम से धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार पृथ्वी सर्दी-गर्मी, वर्षा की विपरित परिस्थितियों को झेल लेती है। उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सभी तूफान अर्थात हर सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है। यदि इसे हम अपने जीवन में उत्तार लेंगे तो हम हर परस्तिथि का सामना कर पाएंगे तथा जीवन में खुशियां-खुशियां रहेगी।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, डे)
बिपति बादर
मछरी सीत
उत्तर-
(i) बिपति – विपत्ति
(ii) बादर – बादल
(iii) मछरी – मछली
(iv) सीत – शीत
प्रश्न 2. नीचे दिए उदाहरण पढ़िए
(क) बनत बहुत बहु रीत।।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग, इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
(क) रघुपति राघव राजा राम (यहाँ ‘र’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है।)
(ख) तर तमाल तरुवर बहु छाए। (यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति बार-बार हुई है।)
(ग) तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहुछाए (यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है।)
(घ) संपति-सचहिं सुजान।। (यहाँ ‘स’ वर्ण की आवृत्ति बार-बार हुई है।)
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