लेखा-जोखा
प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर- यह सत्य है कि हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले इसलिए खरीदना चाहते होंगे क्योंकि वह एक आश्रम खोलने की तैयारी कर रहे थे और वे आत्मनिर्भरता में विश्वास रखते थे। वह आश्रम में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि किसी भी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को स्वयं करनी चाहिए।
प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर- गाँधी जी बचपन से हिसाब-किताब में चुस्ती थे और समय के भी पाबंद थे। निम्ने उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं जैसे- दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन आदि। उनका मानना था कि जरुरी कामो में ही पैसे खर्च करनी चाहिए। साबरमती आश्रम में उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।
छात्र स्वयं करें
प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसको अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम ( जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना ) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे?
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर- इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में यही अनुमान लगाए जा सकते हैं कि गाँधी जी आश्रम के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाना चाहते थे। वह आश्रम में प्रत्येक व्यक्ति को श्रम के लिए प्रेरित करना चाहते थे ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सके।
भाषा की बात
प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
प्रमाणित व्यथित द्रवित मुखरित
झंकृत शिक्षित मोहित चर्चित
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है; जैसे सप्ताह के इक + साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
मौखिक संवैधानिक प्राथमिक
नैतिक पौराणिक दैनिक
उत्तर –
शब्द प्रत्यय
प्रमाणित –प्रमाण + इत
व्यथित – व्यथा + इत
द्रवित – द्रव + इत
मुखरित – मुखर + इत
झंकृत – झंकार + इत
शिक्षित – शिक्षा + इत
मेहित – मोह + इत
चर्चित – चर्चा + इत
शब्द प्रत्यय
मौखिक – मुख + इक
संवैधानिक – संविधान + इक
प्राथमिक – प्रथम + इक
नैतिक – नीति + इक
पौराणिक – पुराण + इक
दैनिक – दिन + इक
प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर-
युद्ध क्षेत्र = युद्ध का मैदान
गंगाजल = गंगा का जल
रसोईघर = रसोई का घर
वनवास = वन में वास
राजकुमार = राजा का कुमार
क्रीडाक्षेत्र = क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
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