अष्टम: पाठः
Chapter 8-जटायोः शौर्यम्
जटायु की वीरता
Jatayu’s valor
प्रस्तुतोऽयं पाठ्यांशः महर्षिवाल्मीकिविरचितम् ” रामायणम्” इत्यस्य ग्रन्थस्य अरण्यकाण्डात् समुद्धृतोऽस्ति। अत्र जटायु- रावणयोः युद्धस्य वर्णनम् अस्ति। पक्षिराजजटायुः पञ्चवटीकानने विलपन्त्या: सीतायाः करुणक्रन्दनं श्रुत्वा तत्र गच्छति। सः सीतापहरणे निरतं रावणं तस्मात् निन्द्यकर्मणः निवृत्यर्थं प्रबोधयति । परञ्च अपरिवर्तितमति: रावणः तमेव अपसारयति। ततः पक्षिराज: तुण्डेन पादाभ्याञ्च प्रहरति, स्वनखै: रावणस्य गात्राणि विदारयति, एक्श्च बहुविधा- क्रमणेन रावणः भग्नधन्वा हतसारथिः हताश्वः व्रणी विरथश्च सञ्जात:। खगाधिपस्य पुनः पुन: अतिशयप्रहारैः व्रणी महाबली रावणः मूर्च्छितो भवति।
सरलार्थ – यह प्रस्तुत पाठ्यांश महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित “रामायण” ग्रन्थ के अरण्य काण्ड से लिया गया है। यहाँ जटायु-रावण के युद्ध का वर्णन है। पक्षिराज जटायु पञ्चवटी जंगल में रोती हुई सीता के करुणक्रन्दन को सुनकर वहाँ जाता है। वह सीता अपहरण में लगा हुआ रावण को उससे नीच काम रोकने के लिए आगाह किया। अपने मति को बिना टाले रावण उसको ही (अपने) रास्ते से हटने को कहा। फिर पक्षिराज चोंच से और पंजों से प्रहार करता है, अपने नाखूनों से रावण के शरीर को फाड़ देता है। इस लड़ाई के क्रम के द्वारा रावण टूटे धनुष वाला, मरे हुए सारथी वाला, मरे हुए घोड़े वाला तथा रथविहीन और घायल हो जाता है। पक्षीराज के बार-बार बहिसाब प्रहार से महाबली रावण घायल और मूर्च्छित हो जाता है।
English Translation: This presented text has been taken from the Aranya Kand of the book “Ramayana” composed by Maharishi Valmiki. The following is a description of the war between Jatayu and Ravana. After having heard Sita’s crying, the bird’s King Jatayu travels to the ‘Panchavati’ forest. He warned Ravana, who was abducting Sita, to stop his heinous deed. On the contrary, Ravana asked Pakshiraj to move out of his way without pausing his thoughts. Pakshiraj then strikes with his beak and claw’s nails, tears the Ravan’s body. Through the sequence of this fight, Ravana gets injured as well as left with a broken bow, with a dead charioteer, with a dead horse, and without a chariot. Mahabali Ravana is injured and unconscious due to the repeated thump of Pakshiraj.
सा तदा करुणा वाचो विलपन्ती सुदु:खिता।
वनस्पतिगतं गृध्रं ददर्शायतलोचना ॥1॥
अन्वय: – तदा सुदु:खिता करुणा: वाच: विलपन्ती आयतलोचना सा वनस्पतिगतं गृध्रं ददर्श।
सरलार्थ: – तब बहुत दुःखी करुणामयी बाते बोलकर रोती हुई बड़ी नेत्रों वाली वह (सीता) पेड़ पर बैठे गिद्ध (जटायु) को देखी।
English Translation: Then Sita, with big eyes crying with very sad words of compassion, saw Jatayu, the vulture, sitting on the tree.
जटायो पश्य मामार्य ह्त्रियमाणामनाथवत्।
अनेन राक्षसेन्द्रेण करुणं पापकर्मणा ॥2॥
अन्वय: – हे आर्य जटाया! अनेन पापकर्मणा राक्षसेन्द्रेण अनाथवत् ह्त्रियमाणां मां करुणं पश्य ।
सरलार्थ: – हे आर्य जटायु! इस पापी राक्षस राज के द्वारा अनाथ के जैसे हरण की जाती हुई मुझको देखो।
English Translation: O Arya Jatayu! , Look at me being kidnapped like an orphan by this sinful demon king.
तं शब्दमवसुप्तस्तु जटायुरथ शुश्रुवे।
निरीक्ष्य रावणं क्षिप्रं वैदेहीं च ददर्श सः ॥3॥
अन्वय: – अथ सः अवसुप्त: जटायु: तु तं शब्दं शुश्रुवे रावणं निरीक्ष्य क्षिप्रं वैदेही ददर्श च।
सरलार्थ: – फिर वह सोया हुआ जटायु ने तो उनकी आवाज़ को सुना और रावण को देखकर जल्दी से सीता को देखा।
English Translation: Then the sleeping Jatayu heard her voice and seeing Ravana, he quickly saw Sita.
ततः पर्वतशृङ्गाभस्तीक्ष्णतुण्ड: खगोत्तमः।
वनस्पतिगत: श्रीमान्व्याजहार शुभां गिरम् ॥4॥
अन्वय: – ततः वनस्पतिगत: पर्वतशृङ्गाभ: तीक्ष्णतुण्ड: श्रीमान् खगोत्तमः शुभां गिरम् व्याजहार।
सरलार्थ: – तब पेड़ पर बैठे हुए पर्वत की चोटी जैसे ऊँचे नुकीले चोंच वाले पक्षी राज (रावण को) अच्छे वचन बोले।
English Translation: Then, sitting on a tree, the bird ‘Jatayu’ with a pointed beak like the top of a mountain spoke good words to Ravana.
निवर्तय मतिं नीचां परदाराभिमर्शनात्।
न तत्समाचरेद्धीरो यत्परोऽस्य विगर्हयेत् ॥5॥
अन्वय: – परदारभिमर्शनात् नीचां मतिं निवर्तय धीर: तत् न समाचरेत् यत् अस्य पर: विगर्हयेत्।
सरलार्थ: – दूसरे की पत्नी छूने से (मिलने वाली) नीच मनसूबे को रोको। शांतचित्त (पुरुष) वह (काम) नहीं करता है जिसकी दूसरे निंदा करें।
English Translation: Stop the lowly intentions you get from touching another’s wife. A self-possessed man does not do what others condemn.
वृद्धोऽहं त्वं युवा धन्वी सरथ: कवची शरी।
न चाप्यादाय कुशली वैदेहीं मे गमिष्यसि ॥6॥
अन्वय: – अहं वृद्ध: त्वं (तु) युवा, कवची, सरथ: धन्वी शरी अपि च मे वैदेहीं आदाय कुशली न गमिष्यसि।
सरलार्थ: – मैं बूढ़ा (हूँ) तुम जवान (तो) हो, धनुर्धर (हो), कवच धारण किये हुए (हो) तथा रथ के साथ बाण भी लिए हुए मेरी सीता (माता) को लेकर कुशलता पूर्वक नहीं जाओगे।
English Translation: You are young, an archer, dressed in armour, and carrying arrows alongside the chariot. Despite the fact that I am old, yet you will not go along with my mother ‘Sita’ efficiently..
तस्य तीक्ष्णनखाभ्यां तु चरणाभ्यां महाबल:।
चकार बहुधा गात्रे व्रणान्पतगसत्तमः ॥7॥
अन्वय: – महाबल: पतगसत्तमः तु तीक्ष्णनखाभ्यां चरणाभ्यां तस्य गात्रे बहुधा व्रणान् चकार।
सरलार्थ: – महाबली पक्षी राज ने तो तीव्र नाख़ूनों वाले पंजो से उसके देह पर अनेक घाव कर दिए।
English Translation: Mahabali Pakshiraj inflicted many wounds on his body with the claws of sharp nails.
तो ऽस्य सशरं चापं मुक्तामणिविभूषितम् ।
चरणाभ्यां महातेजा बभञ्जास्य महाद्धनु: ॥8॥
अन्वय: – तत: महातेजा: महाद्धनु: अस्य मुक्तामणिविभूषितम् सशरं चापं चरणाभ्यां बभञ्च।
सरलार्थ: – तब महातेजस्वी (जटायु), इसके (रावण के) मोती-मणियों से सज्जित बाण के साथ बड़े चाप (arc) वाले धनुष को (भी) पंजों से तोड़ दिए।
English Translation: The majestic Jatayu then broke the large arched bow with his claws, along with the arrows adorned with pearls and pearls of Ravana.
स भग्नधन्वा विरथो हताश्वो हतसारथि: ।
तलेनाभिजघानाशु जटायुं क्रोधमूर्च्छितः ॥9॥
अन्वय: – स: भग्नधन्वा हताश्व: हतसारथि: विरथ: क्रोधमूर्च्छितः आशु तलेन जटायुं अभिजघान।
सरलार्थ: – वह टूटे हुए धनुष वाला, मारे गए घोड़ों वाला, मरे हुए सारथि वाला, बिना रथ के क्रोध से भरा हुआ तुरंत थप्पड़ से जटायु को मारा।
English Translation: With a broken bow, slain horses, a dead charioteer, and no chariot, he slapped Jatayu in rage.
जटायुस्तमतिक्रम्य तुण्डेनास्य खगाधिपः।
वामबाहून्दश तदा व्यपाहरदरिन्दमः ॥9॥
अन्वय: – अरिन्दमः खगाधिपः जटायु: तम् अतिक्रम्य अस्य दश वामबाहून् तुण्डेन व्यपाहरत्।
सरलार्थ: – दुश्मनों को हारने वाले पक्षियों के राजा जटायु ने उस प्रहार को बचाकर, इसके (रावण के) दश बाई बाँहों को चोंच के द्वारा उखाड़ दिया।
English Translation: Jatayu, the king of birds who defeated the enemies, escaped that blow, uprooted Ravana’s ten left arms with his beak.
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There are total 11 shloks in the textbook but, in this website, there are only 10 shloks.
In 10th shlok, it is written 9 instead of 10.
Thanks 👍🏻
Meri id hi le lo anu***ger_
Msg krna mat bhulna ok 😅
Girls Koi insta id hi de do apni 😎
Raja ji
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Ok
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this one is not the best but okk
Please send an English translation for above… It would be really good if word to word meaning is also given… Though it would be a tedious work on your side .. it would be helpful for students… thank you for your efforts… Kindly take into consideration the above suggestions too…. thank you..
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