CBSE Ruchira Bhag 2- Class 7 Sanskrit Chapter 12-विद्याधनम्– translation in Hindi (Hindi Anuvad), हिंदी अनुवाद, Hindi meaning, Hindi arth, Hindi summary, English Translation, and English Summary are provided here. That Means, word meanings (शब्दार्थ:), अन्वयः, सरलार्थ, are given for the perfect explanation of Ruchira भाग 2- Sanskrit Class 7 Chapter 12-विद्याधनम्।
Translation in Hindi & English (Meaning/Arth/Anuvad)
द्वादशः पाठः
विद्याधनम्
(विद्या-धन)
न चौरहार्यं न च राजहार्यं
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि ।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् | 1 |
अन्वयः विद्याधनं न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते नित्यं एव वर्धते। विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।
सरलार्थ: विद्या रुपी धन न तो चोरों द्वारा चुराया जा सकता है, न ही राजाओं द्वारा छीना जा सकता है, न ही भाइयों द्वारा बांटा जा सकता है, न ही भार (बोझ) बढ़ाने वाला है। खर्च करने पर रोज ही बढ़ता है। विद्याधन सभी धनों में प्रधान धन है।
English Translation: The wealth of knowledge can neither be stolen by thieves, nor snatched away by kings, nor divided by brothers, nor does it add to the burden. It increases every day as you spend. Wealth in the form of knowledge is the most important wealth among all wealth.
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रछन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकारी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या-विहीनः पशुः ।। 2 ।।
अन्वयः विद्या नाम नरस्य अधिकं रूपम् प्रछन्नगुप्तं धनम्। विद्या भोगकारी, यशः सुखकारी, विद्या गुरूणां गुरुः।विदेशगमने विद्या बन्धुजन: विद्या परा देवता। विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं। विद्या-विहीनः पशुः भवति।
सरलार्थ: विद्या मनुष्य का असली स्वरूप है, छिपा हुआ और अत्यंत गुप्त धन है। विद्या सुखदायक है, प्रसिद्धि और सुख देने वाली है, विद्या गुरुओं की गुरु है। विदेश जाने पर विद्या मित्र है। विद्या सबसे बड़ा देवता है। राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं। विद्या के बिना (मानव) पशु के समान है।
English Translation: Knowledge is the true form of man, a hidden and extremely secret wealth. Knowledge is soothing, gives fame and happiness, knowledge is the guru of gurus. Knowledge is a friend when going abroad. Knowledge is the supreme god. Knowledge is worshiped among kings, not wealth. Without knowledge (human) is like an animal.
केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कृता मूर्धजाः ।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ।। 3 ।।
अन्वयः पुरुषं केयूराः न विभूषयन्ति, न चन्द्रोज्ज्वला हारा:, न स्नानं, न विलेपनं, न कुसुमं न (च) अलङ्कृता मूर्धजाः। एका वाणीम् समलङ्करोति या पुरुषं संस्कृता धार्यते।अखिलभूषणानि क्षीयन्ते वाग्भूषणं सततं भूषणम्।
सरलार्थ: मनुष्य न कंगनों से, न चंद्रमा के समान चमकते हार से, न स्नान से, न मलहम से, न फूलों से, (और) न अलंकृत बालों से सुशोभित होता है। एक संस्कार युक्त वाणी ही मनुष्य को सुशोभित करती है। सभी आभूषण नष्ट हो जाते हैं, वाणी का आभूषण सदैव आभूषण ही रहता है।
English Translation: Man/woman is adorned neither with armband/bangles, nor with a chain/necklace shining like the moon, nor with bathing, nor with ointments, nor with flowers, (and) nor with decorated hair. Only a cultured speech beautifies a person. All ornaments are destroyed, the ornament of speech always remains an ornament.
विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयः
धेनुः कामदुघा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा ।
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु।। 4 ।।
अन्वयः विद्या नाम नरस्य अतुला कीर्ति:, भाग्यक्षये च आश्रयः, कामदुघा धेनुः, विरहे च रति:, सा तृतीयं नेत्रं (अस्ति)। सत्कारायतनं, कुलस्य महिमा, रत्नै: विना भूषणम्। तस्मात् अन्यम् सर्वविषयं उपेक्ष्य विद्याधिकारं कुरु।
सरलार्थ: विद्या मनुष्य की अतुलनीय प्रसिद्धि है, और भाग्य के पतन होने पर आश्रय है, इच्छाओं की पूर्ति करने वाली कामधेनु गाय है, और बिछड़न में प्रेम है, वह मानव की तीसरी आंख है। आतिथ्य का स्थान, परिवार की शान, रत्नों के बिना आभूषण है। इसलिए अन्य सभी विषयों को नजरअंदाज कर विद्या प्राप्त करें।
English Translation: Knowlwdge is man’s incomparable fame, is shelter when fortunes fall, is the cow ‘Kamadhenu’ that fulfills desires, is love in separation, is the third eye of man. The place of hospitality, the pride of the family, and is jewelery without gems. Therefore, ignore all other things and acquire knowledge.
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