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Class 7 Sanskrit Chapter 2- दुर्बुद्धिः विनश्यति- Hindi Translation & English Translation

CBSE Ruchira Bhag 2 – Class 7 Sanskrit Chapter 2- दुर्बुद्धि: विनश्यति – translation in Hindi (Hindi Anuvad), हिंदी अनुवाद, Hindi meaning, Hindi arth, Hindi summary, English Translation, and English Summary are provided here. That Means, word meanings (शब्दार्थ:), अन्वयः, सरलार्थ, are given for the perfect explanation of Ruchira भाग 2 – Sanskrit Class 7 Chapter 2 – दुर्बुद्धि: विनश्यति |

Translation in Hindi & English (Anuvad)

द्वितीय: पाठः
दुर्बुद्धिः विनश्यति

यह पाठ विष्णु शर्मा के प्रसिद्ध पुस्तक पंचतंत्र से ली गई है। इस पाठ में बताया गया है कि सही समय देख कर ही कुछ बोलना चाहिए और मित्रों की बात माननी चाहिए। तो इस पाठ में exactly क्या हुआ था? इस बात को जाने के लिए चैप्टर को ही पढ़ लेते हैं।

अस्ति मगधदेशे फुल्लोत्पलनाम सरः। तत्र संकटविकटौ हंसौ निवसतः। कम्बुग्रीवनामक: तयोः मित्रम् एकः कूर्मः अपि तत्रैव प्रतिवसति स्म। अथ एकदा धीवराः तत्र आगच्छन्। ते अकथयन् –“वयं श्वः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः।” एतत् श्रुत्वा कूर्मः अवदत्-“मित्रे! किं युवाभ्यां धीवराणां वार्ता श्रुता? अधुना किम् अहं करोमि?” हंसौ अवदताम् – “प्रातः यद् उचितं तत्कर्त्तव्यम्।” कूर्मः अवदत्- “मैवम्। तद् यथाऽहम् अन्यं हृदं गच्छामि तथा कुरुतम्।”

Hindi Translation:

मगध देश में फुल्लोत्पल नाम का एक तालाब है। वहाँ संकट (और) विकट दो हंस रहते हैं। कम्बुग्रीव नामक उनका एक मित्र कछुआ भी वही रहता था। तत्पश्चात एकबार मछुआरे वहाँ आए। वे बोले –“ हमलोग कल मछलियाँ (और) कछुए आदि को मारेंगे।” यह सुनकर कछुआ बोला – “मित्र! क्या तुम दोनों के द्वारा मछुआरों की बातें सुनी गई? अब मैं क्या करूँ?” दोनों हंस बोले – “सुबह जो उचित होगा, वह करेंगे।” कछुआ बोला- “ऐसा ( सही) नहीं है। वह (कि), जिस प्रकार मैं अन्य तालाब में चला जाऊँ, वैसा (उपाय) करो।”

English Translation:

In the Magadha region, there is a pond called Phullotpal. There “Sankat” and “Vikat” live two swans. A tortoise named “Kambugriva,” the friend of the two swans, also lived there as well. The fishermen eventually arrived there. They said – “Tomorrow we will kill fish and turtles etc. Hearing this, the tortoise said – “Friend! Have you both heard the words of the fishermen? What should I do now?” Both the swans said – “We will do whatever is right in the morning.” The tortoise said – “It is not right. That’s it. Do such a thing so that I can go to another pond.

हंसौ अवदताम्-“आवां किं करवाव?” कूर्मः अवदत्- अहं युवाभ्यां सह आकाशमार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छामि।” हंसौ अवदताम्-“अत्र कः उपायः?” कच्छपः वदति-“युवां काष्ठदण्डम् एकं
चञ्च्वा धारयताम्। अहं काष्ठदण्डमध्ये युवयोः पक्षबलेन सुखेन गमिष्यामि।” हंसौ अकथयताम्- “सम्भवति एष: उपायः। किन्तु अत्र एकः अपायोऽपि वर्तते। आवाभ्यां नीयमानं त्वामवलोक्य जनाः किञ्चिद् वदिष्यन्ति एव। यदि त्वमुत्तरं दास्यसि तदा तव मरणं निश्चितम्। अतः त्वम् अत्रैव वस।” तत् श्रुत्वा क्रुद्धः कूर्मः अवदत् -“किमहं मूर्ख 😕 उत्तरं न दास्यामि। किञ्चिदपि न वदिष्यामि।” अतः अहं यथा वदामि तथा युवां कुरुतम्।

Hindi Translation:

दोनों हंस बोले -” हमदोनों को क्या करना चाहिए?” कछुआ बोला – मैं तुमदोनों के साथ आकाशमार्ग से दूसरे जगह जाने के लिए इक्षा करता हूँ।” दोनों हंस बोले -“ यहाँ क्या उपाय है?” कछुआ बोला -” तुम दोनों एक लकड़ी के टुकड़े को चोंच के द्वारा पकड़ लेना। मैं उस लकड़ी के डंडे का मध्य भाग का सहारा लेकर तुमदोनों के पंख के बल से आराम से चला जाऊँगा।” दोनों हंसों ने कहा- “ यह उपाय सम्भव है। किन्तु यहाँ एक खतरा (समस्या) भी है। हमारे द्वारा ले जाये जाते हुए तुम्हें देखकर लोग कुछ कहेंगे ही। यदि तुम उत्तर दोगे तब तुम्हारी मृत्यु निश्चित है। अतः तुम यहीं रहो।” वह सुनकर क्रोधित कछुआ बोला -” क्या मैं मूर्ख हूँ? उत्तरं नहीं दूँगा। कुछ भी नहीं बोलूँगा।” अतः मैं जैसा बोलता हूँ वैसा तुमदोनों करो।

English Translation:

Both the swans said – “What should we do?” The tortoise said – I hope to go to another place with you from the skyway.” Both the swans said – “What is the solution in this case?” The tortoise said – “You both grab a piece of wood with your beaks. I’ll take the middle part of that wooden stick as support and fly away comfortably on the strength of your feather.” Both the swans said – “this solution is possible. But there is also a problem here. People will say something if they see you being carried by us. If you respond, your death is certain. So you stay here.” Hearing that, the angry tortoise said – “Am I a fool? I will not answer. I will not say anything.” So do as I say, both of you.

एवं काष्ठदण्डे लम्बमानं कूर्मं पौराः अपश्यन्। पश्चाद्अधावन् अवदन् च- “हंहो!महदाश्चर्यम्। हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते।” कश्चिद्व वदति- “यद्ययं कूर्मः कथमपि निपतति तदा अत्रौव पक्त्वा खादिष्यामि।” अपरः अवदत्- “सरस्तीरे दग्ध्वा खादिष्यामि”। अन्यः अकथयत्- “गृहं नीत्वा भक्षयिष्यामि'” इति। तेषां तद् वचनं श्रुत्वा कूर्मः क्रुद्धः जातः। मित्राभ्यां दत्तं वचनं विस्मृत्य सः अवदत्-“यूयं भस्म खादत।” तत्क्षणमेव कूर्मः दण्डात् भूमौ पतितः। पौरैः सः मारितः। अत एवोक्तम्-

Hindi Translation:

इस तरह लकड़ी के डण्डे पर लटकते हुए कछुए को नगर-वासियों ने देखा। उसके पीछे दौड़े और बोले- “अरे रे! घोर आश्चर्य है। दो हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है।” कोई बोलता है ” यदि यह कछुआ किसी प्रकार भी गिर जाता है तब यहीं पका कर खाऊँगा।” दूसरा (आदमी) बोला – “झील के किनारे पकाकर खाऊँगा “। अन्य बोले -” घर लेजाकर खाऊँगा। उनकी उन बातों को सुनकर कछुआ क्रोधित हो जाता है। मित्रों को दिया हुआ वचन भूलकर वह बोला – तुमलोग राख खा लो।” उसी क्षण कछुआ डण्डे से (छूटकर) जमीन पर गिर जाता है। नगर-वासियों के द्वारा वह मारा जाता है। इसलिए कहा गया है-

English Translation:

In this way, the citizen saw the turtle hanging on the wooden piece. they chased the tortoise and said – “Oh ho! Great surprise. A tortoise is also flying along with two swans.” Someone says, “If this tortoise falls in any way, then I will cook him here and eat him.” The other man said – “I will cook and eat him on the bank of the lake”. Others have stated – “I’ll bring them home and eat them. After hearing those words, the tortoise becomes enraged. He said, “You eat ashes,” forgetting the promise he had made to their friends.” At that very moment, the tortoise frees from the wooden piece and falls to the ground. He was killed and got eaten by the citizens. As a result, it is said-

सुहृदां हितकामानां वाक्यं यो नाभिनन्दति।
स कूर्म इव दुर्बुद्धिः काष्ठाद् भ्रष्टो विनश्यति॥

अन्वय: सुहृदां हितकामानां वाक्यं य: न अभिनन्दति। स: कूर्म इव दुर्बुद्धिः काष्ठाद् भ्रष्ट: विनश्यति।

Hindi Translation:

भलाई चाहने वाले मित्र लोगों के वचन को जो अभिनन्दन नहीं करता है वह लकड़ी से गिरे हुए दुर्बुद्धि कछुए के समान विनाश को प्राप्त करता है।

English Translation:

Whoever does not salute the words of good-seeking friends is destroyed like a foolish tortoise that has fallen from the wood.

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Sanskrit Grammar Class 7

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19 thoughts on “Class 7 Sanskrit Chapter 2- दुर्बुद्धिः विनश्यति- Hindi Translation & English Translation”

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