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Class 8 Sanskrit Chapter 1- सुभाषितानि- Hindi Translation & English Translation

CBSE Ruchira Bhag 3 – Class 8 Sanskrit Chapter 1- सुभाषितानि – translation in Hindi (Hindi Anuvad), हिंदी अनुवाद, Hindi meaning, Hindi arth, Hindi summary, English Translation, and English Summary are provided here. That Means, word meanings (शब्दार्थ:), अन्वयः, सरलार्थ, are given for the perfect explanation of Ruchira भाग 1 –Sanskrit Class 8 Chapter 1- सुभाषितानि |

Translation in Hindi & English (Meaning/Arth/Anuvad)

प्रथम: पाठः
सुभाषितानि

अच्छे वचन

गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
सुस्वादुतोयाः प्रभवन्ति नद्यः
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेया: ॥1।।

शब्दार्थ: – गुणा: – बहुत सारे गुण (Qualities) गुणज्ञेषुगुणियों/प्रतिभाशालियों में (in geniuses) गुणा:बहुत सारे गुण (Qualities) भवन्तिहोते हैं (are done) तेवे (they)निर्गुणंअवगुण को (to guilt/negative aspects) प्राप्य प्राप्त करके (after getting/meeting) भवन्तिहोते हैं (are done)दोषाःत्रुटि/अवगुण (fault)सुस्वादुतोयाःस्वादिष्ट जल वाली (of delicious water) प्रभवन्ति निकलती है (originates) नद्यःनदियां (rivers) समुद्रमासाद्य (समुद्रं + आसाद्य) समुद्रंसमुद्र (sea) आसाद्य मिलकर/पहुँचकर (after reaching) भवन्त्यपेया: (भवन्ति + अपेया:)भवन्तिहोते हैं (are done) अपेया:पीने योग्य नहीं (not drinkable)

अन्वय: गुणा: गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति। ते (गुणा:) निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः। नद्यः सुस्वादुतोयाः प्रभवन्ति समुद्रं (ता:) आसाद्य अपेया: भवन्ति ॥1॥

Hindi Translationप्रतिभाशाली व्यक्तियों में गुण, गुण ही होते हैं। वे गुण निर्गुण (व्यक्ति) को प्राप्त करके अवगुण बन जाते हैं। नदियाँ, स्वादिष्ट जल वाली निकलती हैं। (लेकिन) समुद्र में मिलकर (वही स्वादिष्ट जल वाली नदियाँ) अपेय हो जाती हैं (पीने लायक नहीं रहती हैं)।

English Translation Talented people have qualities, qualities only. Those qualities become demerits by acquiring a malefactor person. Rivers come out with delicious water. But when they join the sea, the rivers of the same delicious water are no longer drinkable.

साहित्यसङ्गीतकलाविहीन:
साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीन:।
तृणं न खादन्रपि जीवमानः
तद्भागधेयं परमं पशूनाम्।। 2 ।।

शब्दार्थ: – साहित्यसङ्गीतकलाविहीन: (साहित्य + सङ्गीत + कला + विहीन🙂 साहित्यसाहित्य, शास्र समूह, साहित्यक रचना (literature) सङ्गीतसंगीत, सुर (music) कलाकला, कौशल (art) विहीन:से रहित/ विहीन/ के बिना (Devoid of)साक्षात्पशुः (साक्षात् + पशु:) साक्षात्प्रत्यक्ष/सम्मुख/सामने (demonstrable/obvious/outright) पशु: जानवर (animal) पुच्छविषाणहीन: (पुच्छ + विषाण + हीन:) पुच्छपूँछ (tail) विषाणसींग (horn) हीन: रहित/के बिना (devoid)तृणंघास (grass) खादन्रपि (खादन् + अपि) खादन् खाता हुआ (eating something) अपिभी (too) जीवमानःजिंदा है (is alive) तद्भागधेयं (तद् + भागधेयं) तद्उन/वह (that) भागधेयंभाग्य (luck) परमंमहान/अन्तिम/असली (ultimate) पशूनाम्जानवारों का (of animal)

अन्वय: साहित्य सङ्गीत कला विहीन: साक्षात् पुच्छ विषाण (च) हीन: पशु: तृणं खादन् अपि जीवमानः (एष:) तद् पशूनाम् परमं भागधेयं

Hindi Translationसाहित्य, संगीत, कला से रहित (व्यक्ति) साक्षात् पूँछ और सींग के बिना जानवर है जो घास नहीं खाता हुआ भी जिंदा है यह उन पशुओं का महान भाग्य है। अर्थात् साहित्य, संगीत, कला से रहित मनुष्य पशु के समान है, जो घास भी नहीं खाता है जिससे उन असली पशुओं का चारा बचता है और ये उनका भाग्य है।

English TranslationA person devoid of literature, music, art is literally an animal without tail and horn, which is alive even though it does not eat grass. This is the great fortune of those animals.

लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य मैत्री
नष्टक्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः।
विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं
राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य।। 3 ।।

शब्दार्थ: – लुब्धस्यलोभी का/के/की (greedy) नश्यतिख़त्म/बरबाद हो जाता है (gets destroyed) यशःप्रसिद्धि /महिमा (fame) पिशुनस्यचापलूस का/के/की (of sycophant)मैत्रीदोस्ती (friendship) नष्टक्रियस्य आलसी का/ निष्क्रिय का (of indolent) कुलमर्थपरस्य (कुलम् + अर्थपरस्य) कुलम्वंश (clan) अर्थपरस्यधनलोलुप/सिर्फ धन चाहने वाला आदमी का (money-oriented) धर्मः धर्म/सच्चाई/पवित्रता (righteousness)विद्याफलंसीखने/विद्या का परिणाम (result of learning) व्यसनिनःबुरी लत वाले का (Bad addict) कृपणस्यकंजूस/मक्खीचूस का/के/की(of miser) सौख्यंसुख/आनंद  (happiness/pleasure/comfort) राज्यंराज्य/साम्राज्य (state/kingdom) प्रमत्तसचिवस्यआडंबरपूर्ण/घमंडी मंत्री का/के/की (of pompous minister) नराधिपस्यराजा का (of King)

अन्वय:लुब्धस्य यशः पिशुनस्य मैत्री नष्टक्रियस्य कुलम् अर्थपरस्य धर्मः व्यसनिनः विद्याफलं कृपणस्य सौख्यं च प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य राज्यं नश्यति

Hindi Translation लोभी की प्रसिद्धि, चापलूस की दोस्ती, आलसी का वंश, धनलोलुप का धर्म, बुरी लत वाले का विद्याफल, कंजूस का आनंद, आडंबरपूर्ण मंत्री के राजा का राज्य बरबाद हो जाता है।

English TranslationThe fame of the covetous, the friendship of the sycophantic, the lineage of the lazy, the religion of the glutton, the fruit of the wicked addict, the pleasure of the miser, and the kingdom of a pompous minister’s king are all ruined.

पीत्वा रसं तु कटुकं मधुरं समानं
माधुर्यमेव जनयेन्मधुमक्षिकासौ ।
सन्तस्तथैव समसज्जनदुर्जनानां
श्रुत्वा वचः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।। 4 ।।

शब्दार्थ: – पीत्वापीकर (after drinking) रसंरस (juice) तुया (or, and, now) कटुकंकड़वा (bitter) मधुरं मीठा/ प्यारा/ मधुर (sweet) समानंसमान रूप से/ एकरूपता से (usually/uniformly)माधुर्यमेव (माधुर्यम् + एव) माधुर्यम् मधुर/मीठा/ प्यारा/ मधुर (sweet) एवही(only) जनयेन्मधुमक्षिकासौ (जनयेत् + मधुमक्षिका + असौ) जनयेत्पैदा करती है (produces) मधुमक्षिका मधुमक्खी (honey bee) असौयह (अद्स – स्त्रीलिंग/पुल्लिंग प्रथमा विभक्ति एकवचन ) सन्तस्तथैव (सन्त: + तथैव) सन्त:संत/महात्मा/ ऋषि(saints) तथैव उसी तरह (like that) समसज्जनदुर्जनानां अच्छे और दुष्ट लोगों की (of good and evil people) श्रुत्वा – सुनकर (listening) वचःवाणी/बातें (words/speech) मधुरसूक्तरसंप्यारे वाक्य रूपी रस(lovely word/speech) सृजन्ति निर्माण करते हैं (create)

अन्वय:(यथा) असौ मधुमक्षिका कटुकं तु मधुरं रसं समानं पीत्वा माधुर्यमेव जनयेत्। तथैव सन्त: (अपि) समसज्जनदुर्जनानां वचः श्रुत्वा मधुरसूक्तरसं सृजन्ति

Hindi Translation जैसे यह मधुमक्खी कड़वा या मीठा रस पीकर, मीठा (रस) ही पैदा करती है; उसी तरह संत/महात्मा भी अच्छे और दुष्ट लोगों की बातें सुनकर, प्यारे वाक्य रूपी रस को उत्पन्न करते हैं।

English Translation Like this bee, after drinking bitter or sweet juice, produces only sweet juice; Similarly, the saints also produce melodious speech by listening to the words of good and evil people.

विहाय पौरुषं यो हि दैवमेवावलम्बते।
प्रासादसिंहवत् तस्य मूर्ध्नि तिष्ठन्ति वायसा: ।।5।।

शब्दार्थ: – विहाय छोड़कर/ के सिवा/ के बिना (without) पौरुषंश्रम/परिश्रम/काम/मेहनत को (labour) योजो (that) हिही/निश्चित रूप से (surely/for/because) दैवमेवावलम्बते (देवम् + एव + अवलम्बते) देवम्देव/भगवान (God)एवही/सिर्फ (only) अवलम्बतेसहारा/शरण/आश्रय लेता है (takes aid/support) प्रासादसिंहवत्महल/ प्रासाद/हवेली/बँगला में बने हुए शेर के जैसे (like a lion built in the palace) तस्य उसका/उसके/उसकी (his/her/whose) मूर्ध्नि  सिर पर (on the head) तिष्ठन्ति बैठते हैं (sit) वायसा:कौवे (crows)

अन्वय: हि यो पौरुषं विहाय एव देवम् अवलम्बते प्रासादसिंहवत् तस्य मूर्ध्नि वायसा: तिष्ठन्ति।

Hindi Translation निश्चित रूप से, जो मेहनत को छोड़कर सिर्फ भगवान का सहारा लेता है, (उसकी स्थिति) महल में बने हुए शेर के जैसे, उसके सिर पर कौवे बैठते हैं; (वैसी होती है)।

English TranslationSurely, one who takes only the help of God except hard work, his condition is like that of a lion in a palace, with crows sitting on his head.

पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।
धन्या महीरुहाः येषां विमुखं यान्ति नार्थिनः ॥ 6 ॥

शब्दार्थ: – पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः (पुष्प+पत्र+फल+छाया+मूल+वल्कल+दारुभिः) पुष्पफूल (flowers) पत्रपत्ते (leaves)फलफल (fruits)छायापरछाई (shadows)मूल जड़ (roots)वल्कलछाल (barks/peels)दारुभिःलकड़ी (woods) धन्या: धन्य हैं (are blessed) महीरुहाःसागवान [को संस्कृत में शाक कहते हैं] के पेड़ (teak tree) येषांजिसके/जिन/जिससे (by whom/which) विमुखंविरुद्ध/रूखा, अस्नेही, अमित्रवत, (unfriendly/Alienated) यान्तिहोते हैं (is done) नार्थिनः (न+अर्थिनः) नहीं (no) अर्थिनःअनुरोधकर्ता/ प्रार्थी व्यक्ति/ याचक (requester/petitioner/solicitor)

अन्वय: पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः महीरुहाः धन्या येषां अर्थिनः विमुखं यान्ति।

Hindi Translation फूल, पत्ते, फल, छाया, जड़, छाल (और) लकड़ी से युक्त महीरुह (सागवान के पेड़) धन्य हैं, जिससे याचक अमित्रवत नहीं होते हैं।

English TranslationBlessed are the Teak trees containing flowers, leaves, fruits, shade, root, bark (and) wood, with which the petitioner does not become unfriendly.

चिन्तनीया हि विपदाम् आदावेव प्रतिक्रिया: ।
न कूपखननं युक्तं प्रदीप्ते वह्निना गृहे॥7॥

शब्दार्थ: – चिन्तनीया सोचना चाहिए (to be thought of) हिही/निश्चित रूप से (surely/for/because)विपदाम् (विपद् – (षष्ठी विभक्ति बहुवचन) – विपदा/संकट/दुःख का/के/की (of disaster/crisis) आदावेव (आदौ+एव) आदौशुरू में/प्रारंभ में/आरंभ में/पहले (initially/at the beginning) एव ही/सिर्फ (only) प्रतिक्रिया:हल/समाधान (solution) नहीं (no) कूपखननंकुआं खोदना (well digging ) युक्तं उचित (proper) प्रदीप्ते प्रज्वलित/प्रज्वलन के बाद (ignited/blazed/burning) वह्निना आग के द्वारा/आग से (with the fire) गृहे घर में (in house)

अन्वय: विपदाम् आदावेव हि प्रतिक्रिया: चिन्तनीया। गृहे वह्निना प्रदीप्ते कूपखननं युक्तं।

Hindi Translation संकट के प्रारंभ में ही हल सोचना चाहिए घर में आग के द्वारा प्रज्वलन के बाद कुआं खोदना उचित नहीं है

English Translation Solutions should be thought of at the beginning of the crisis. It is not advisable to dig a well after the house is ignited by fire.

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Sanskrit Grammar Class 8

THE END

22 thoughts on “Class 8 Sanskrit Chapter 1- सुभाषितानि- Hindi Translation & English Translation”

  1. Sir very helpful for my studies but the English translation is not there. Please if you can add it

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