नवमः पाठः
अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि
मैं भी स्कूल जाऊंगी
मालिनी – (प्रतिवेशिनीं प्रति) गिरिजे! मम पुत्र: मातुलगृहं प्रति प्रस्थित: काचिद् अन्यां कामपि महिला कार्यार्थं जानासि तर्हि प्रेषय।
गिरिजा – आम् सखि! अद्य प्रात: एव मम सहायिका स्वसुतायाः कृते कर्मार्थं पृच्छति स्म। श्व: प्रात: एव तया सह वार्तां करिष्यामि।
(अग्रिमदिने प्रातः काले षट्वादने एव मालिन्याः गृहघण्टिका आगन्तारं कमपि सूचयति मालिनी द्वारमुदघाटयति पश्यति यत् गिरिजाया: सेविकया दर्शनया सह एका अष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति)।
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मालिनी – (बगलवाले के प्रति) गिरजा! मेरा पुत्र मामाघर गया है, कोई दूसरी अन्य महिला काम जानती हो तो (मुझसे) कहना।
गिरिजा – हां सखी, आज सुबह ही मेरी सहायिका अपनी पुत्री के लिए काम के लिए पूछ रही थी। कल सुबह ही उसके साथ बात करुँगी। अगले दिन सुबह के समय छ: बजे ही मालिनी के घर की घंटी किसी आनेवाले की सूचना देती है। मालिनी द्वार खोलती है देखती है कि गिरिजा की सेविका दर्शना के साथ एक लगभग आठ वर्ष की लड़की खड़ी है।
दर्शना – महोदये! भवती कार्यार्थं गिरिजामहोदयां पृच्छति स्म कृपया मम सुतायै अवसरं प्रदाय अनुगृह्णातु भवती।
मालिनी – परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्यं करिष्यत्येषा? अयं तु अस्याः अध्ययनस्य क्रीडनस्य च कालः।
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दर्शना – मैडम! आप काम के लिए गिरिजा मैडम से पूछा था, कृपया मेरी बेटी के लिए अवसर को प्रदान करके हमें अनुगृहीत करें।
मालिनी – लेकिन ये तो कम उम्र की लगती है। क्या काम करेगी? यह तो इसके पढ़ने का और खेलने का समय है।
दर्शना – एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्यं करोति स्म। सः परिवारः अधुना विदेशं प्रति प्रस्थित:। कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि स्म येन भवत्सदृशानां कार्यं प्रचलेत् अस्मद्सदृशानां गृहसञ्चालनाय च धनस्य व्यवस्था भवेत्।
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दर्शना – ये एक घर का सारा काम करती थी। वह परिवार अब विदेश चला गया है। काम के अभाव में मैं इसके लिए काम ढूंढ रही थी, जिससे आप जैसों का काम चल सके और हम जैसों का घर चलाने के लिए धन की व्यवस्था हो जाए।
मालिनी – परमेतत्तु सर्वथाऽनुचितम्। किं न जानासि यत् शिक्षा तु सर्वेषां बालकानां सर्वासां बालिकानां च मौलिकः अधिकारः।
दर्शना – महोदये! अस्मद् सदृशानां तु मौलिका: अधिकारा: केवलं स्वोदरपूर्ति-रेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एव अहं सर्वस्मिन् दिने पञ्च-षड्गृहाणां कार्यं करोमि। मम रुग्णः पति: तु किञ्चिदपि कार्यं न करोति। अत: अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्वः। अस्मिन् महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एव धनं पर्याप्त न भवति तर्हि कथं विद्यालयशुल्कं, गणवेषं पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनमानेष्यामि।
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मालिनी – लेकिन यह तो सभी प्रकार से गलत है। क्या नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी बच्चों का और सभी बच्चियों का मौलिक अधिकार है?
दर्शना – मैडम! हम जैसों का मौलिक अधिकार तो सिर्फ पेट भरना (ही) है। इसके व्यवस्था के लिए ही पूरे दिन में पाँच-छः घरों का काम करती हूँ। मेरा बीमार पति तो कुछ भी काम नहीं करता है। इसलिए मैं और मेरी पुत्री मिलकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इस महंगाई के समय में मूलभूत आवश्यकताओं के लिए ही धन पर्याप्त नहीं होता है। तो विद्यालय शुल्क, ड्रेस, किताब आदि खरीदने के लिए धन कैसे लाऊंगी?
मालिनी – अहो! अज्ञानं भवत्या:। किं न जानासि यत् नवोत्तर-द्वि-सहस्र (2009) तमे वर्षे सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षायाः मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता । यदनुसारं षड्वर्षेभ्यः आरभ्य चतुदर्शवर्षपर्यन्तं सर्वे बालाः समीपस्थं सर्वकारीयं विद्यालयं प्राप्य न केवलं नि:शुल्कं शिक्षामेव प्राप्स्यन्ति अपितु निःशुल्कं गणवेषं पुस्तकानि,
पुस्तकस्यूतम्, पादत्राणम्, माध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिम् इत्यादिकं सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।
दर्शना – अप्येवम् (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
मालिनी -आम्। वस्तुतः एवमेव।
दर्शना – (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताऽस्मि महोदये! एतद् बोधनाय। अहम् अद्यैवास्याः प्रवेशं समीपस्थे विद्यालये कारयिष्यामि ।
दर्शनायाः – पुत्री- (उल्लासेन सह) अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि पठिष्यामि! (इत्युक्त्वा
करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनीं प्रति च कृतज्ञतां ज्ञापयति)
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मालिनी – क्या तुम नहीं जानती हो कि सरकार के द्वारा सन २००९ में सभी लड़कों और सभी लड़कियों के लिए शिक्षा का मौलिक अधिकार की घोषणा की है जिसके अनुसार छ: वर्ष से लेकर चौदह वर्ष तक के सभी बच्चे नजदीकी सरकारी विद्यालय में न सिर्फ निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करेंगे अपितु निःशुल्क ड्रेस, किताबें, किताबों की थैली, जूते, दोपहर का भोजन, छात्रवृति (scholarship) इत्यादि सब ही प्राप्त करेंगे।
दर्शना – क्या ऐसा है? (आश्चर्य से मालिनी को देखती है)
मालिनी – हाँ। असल में ऐसा ही है।
दर्शना – (कृतार्थता/धन्यता प्रकट करती हुई) अनुगृहीत हूँ मैडम! यह समझाने के लिए। मैं आज ही इसका प्रवेश नजदीकी स्कूल में करवाऊंगी।
दर्शना की पुत्री – (खुशी से) मैं स्कूल जाऊँगी! मैं भी पढूंगी! (ऐसा कहकर ताली बजाने के साथ डांस करती है और मालिनी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है)
Sanskrit Class 7 Chapter 9- अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि– Hindi translation ended here!👍👍👍
वेरी हेल्पफुल फॉर मी
थैंक्स फॉर ईट
सो मच थैंक्स
थैंक्स
थैंक्स
Nice but not tooooooomuch
Very helpfull