षष्ठ: पाठः
लौहतुला
लोहे की तराजू
Iron scales
अयं पाठ: विष्णुशर्मविरचितम् “पश्चतन्त्रम्” इति कथाग्रन्थस्य मित्रभेदनामकतन्त्रस्य सम्पादित: अंश: अस्ति। अस्यां कथायाम् एकः जीर्णधननामक: वणिक् विदेशात् व्यापारं कृत्वा प्रत्यावत्त्य संरक्षितन्यासरूपेण प्रदत्तां तुलां धनिकात् याचते । पस्थ्व स: धनिक: वदति यत् तस्य, तुला तु मूषके: भक्षिता, ततः सः वर्णिक् धनिकस्य पुत्रं स्नानार्थं नदीं प्रति नयति, तं तत्र नीत्वा च सः एकस्यां गुहायां निलीयते। प्रत्यावर्तिते सति पुत्रम् अदृष्ट्वा धनिक: पृच्छति मम शिशुः कुत्रास्ति ? सः वदति यत् तव पुत्रः श्येनेन अपहृत:। तदा उभौ विवदन्तौ न्यायालयं प्रति गतौ यत्र न्यायाधिकारिणः न्यायं कृतवन्तः।।
Hindi Translation: यह पाठ विष्णुशर्मा के द्वारा रचित “पश्चतन्त्र” कथाग्रन्थ के मित्रभेद नामक तन्त्र का सम्पादित अंश है। इस कथा में एक जीर्णधन नामक वणिक् (व्यापारी) विदेश से व्यापार करके आने के बाद संरक्षित रूप में दी हुई तराजू को सेठ से माँगता है। लेकिन वह सेठ बोला कि उसकी तुला (तराजू) तो चूहों ने भक्षण कर लिया। तब वह व्यापारी सेठ के पुत्र को स्नान के लिए नदी के तरफ ले गया और उसको वहाँ लेजाकर एक गुफ़ा में छुपा दिया। वापस लौटने पर अपने पुत्र को न देखकर सेठ पूछता है -“मेरा शिशु कहाँ है?” वह बोला कि उसका पुत्र बाज के द्वारा अपहरण कर लिया गया है। तब दोनों विवाद करते हुए न्यायालय गए जहाँ जज न्याय करते हैं।
English Translation: This text is an edited excerpt of a system called “Mitrabheda” of “Pachtantra” written by Vishnu Sharma. In this tale, Jirnadhan, a merchant (banian) who has just returned after doing business abroad, requests Shroff for the scales handed in a protected form. But that shroff said that his Libra (scales) have been eaten by rats. Then the merchant took shroff’s son to the river for a bath and took him there and hid him in a cave. Not seeing his son on his return, shroff asks – “Where is my baby?” He said that his son has been kidnapped by the eagle. Then both disputed and went to the court where the judges do justice.
आसीत् कस्मिश्चिद् अधिष्ठाने जीर्णधनो नाम वणिक्पुत्र:। स च विभवक्षयात् देशान्तरं
गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्-
सरलार्थ: किसी जगह पर (एक) व्यापारी का पुत्र ‘जीर्णधन’ रहता था। और वह धन के आभाव से विदेश जाने को सोचते लगा –
English Translation: ‘Jirnadhan’, the son of a merchant, lived somewhere. And he started thinking of going abroad because of lack of money.
यत्र देशेऽथवा स्थाने भोगा भुक्ताः स्ववीर्यतः।
तस्मिन् विभवहीनो यो वसेत् स पुरुषाधम:॥
सरलार्थ: जिस देश में या (जो जहाँ रहता है उस) जगह पर अपने मेहनत से भोग भोगे जाते हैं। उसमें जो निर्धन रहता है (निश्चय ही) वह नीच आदमी है।
English Translation: The pleasures of hard work are enjoyed in the country or place where one lives. The one who remains poor there is certainly a lowly man.
तस्य च गृहे लौहघटिता पूर्वपुरुषोपार्जिता तुला आसीत् । तां च कस्यचित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा देशान्तरं प्रस्थित:। ततः सुचिरं कालं देशान्तरं यथेच्छया भ्रान्त्वा पुन: स्वपुरम् आगत्य तं श्रेष्ठिनम् अवदत्-” भो: श्रेष्ठिन्! दीयतां मे सा निक्षेपतुला। ” सोऽवदत् ” भो:! नास्ति सा, त्वदीया तुला मूषकै: भक्षिता ” इति।
सरलार्थ: और उसके घर में लोहे से बनी पूर्वजों के द्वारा प्राप्त एक तराजू थी। और उसको किसी श्रेष्ठ (व्यक्ति) के घर में धरोहर जैसा रखकर विदेश गया। तब बहुत समय ईक्षा अनुसार विदेश घूमकर फिर अपने नगर आकर उस श्रेष्ठ (आदमी) को बोला – ” हे श्रेष्ठ! धरोहर रूप में दिया हुआ मेरी वह तराजू दो।” वह (श्रेष्ठ) बोला – ” हे (जीर्णधन)! वह नहीं है, तुम्हारा दिया हुआ तराजू (तो) चूहों के द्वारा खा लिया गया है”।😀
English Translation: And in his house, there was a scale made of iron from the ancestors. And keeping it as a heritage in the house of an eminent man, he went abroad. Then, after traveling abroad for a long time, he came to his city and said to that eminent man – “O eminent man! Give me the scales given as a heritage.” The eminent man said – “O old man! There is no scale, the scale given by you has been eaten by rats.”
जीर्णधन: अवदत् -” भो: श्रेष्ठिन् नास्ति दोषस्ते, यदि मूषकै: भक्षिता। ईदृश: एव अयं संसार:। न किञ्चिदत्र शाश्वतमस्ति । परमहं नद्यां स्नानार्थं गमिष्यामि । तत् त्वम् आत्मीयं एनं शिशुं धनदेवनामानं मया सह स्नानोपकरणहस्तं प्रेषय” इति।
सरलार्थ: जीर्णधन बोला -” हे श्रेष्ठ आपका दोष नहीं है, यदि चूहे के द्वारा खा लिया गया। इसी तरह का ही यह संसार है। यहाँ कुछ भी नित्य नहीं है। लेकिन मैं नदी में नहाने के लिए जाऊँगा। आप अपने इस लड़के को मेरे साथ स्नान के लिए सामग्री युक्त हाथ (लेकर) भेज दो।
English Translation: “O eminent man”, it is not your fault if the scale is eaten by a mouse,” Jirnadhan said. This is the kind of world we live in. Nothing is constant in this place. But I’m going to take a bath in the river. Send this boy of yours to bathe with me by providing bath ingredients.
स श्रेष्ठी स्वपुत्रम् अवदत् -” वत्स! पितृव्योऽयं तव, स्नानार्थं यास्यति, तद् अनेन साकं गच्छ” इति। अथासौ श्रेष्ठिपुत्र: धनदेव: स्नानोपकरणमादाय प्रहृष्टमनाः तेन अभ्यागतेन सह प्रस्थित:।तथानुष्ठिते स वणिक् स्नात्वा तं शिशुं गिरिगुहायां प्रश्षिप्य, तद्द्वारं बृहत् शिलया आच्छाद्यं सत्त्वरं गृहमागत:।
सरलार्थ: वह श्रेष्ठ (व्यक्ति) अपने पुत्र को बोला – “पुत्र! तुम्हारे यह चाचा स्नान के लिए जाएँगे, तो इनके साथ जाओ।” फिर उस श्रेष्ठ (व्यक्ति) का पुत्र “धनदेव” स्नान के लिए उपकरण लेकर खुश मन से आए हुए उस व्यक्ति के साथ चला गया। उस प्रकार करने पर वह व्यापारी स्नान करने के बाद उस शिशु को पहाड़ की गुफा में छिपाकर, उसके द्वार को बड़े शिला (पत्थर) के द्वारा ढककर, वह जल्दी घर आ गया।
English Translation: That eminent man said to his son – “Son! Your uncle is going to take a bath, so join him.” Then “Dhandev”, the son of that great person, took the equipment for a bath and went with the person who came with a happy heart. The merchant returned home early after taking a bath, hiding the child in the cave of the mountain, and covering its door with a large rock.
सः श्रेष्ठी पृष्टवान्-” भो:! अभ्यागत! कथ्यतां कुत्र मे शिशुः य: त्वया सह नदी गत:? इति। स अवदत्-” तव पुत्र: नदीतटात् श्येनेन हृतः’ इति। श्रेष्ठी अवदत् – “मिथ्यावादिन्! किं क्वचित् श्येनो बालं हर्तुं शक्नोति? तत् समर्पय मे सुतम् अन्यथा राजकुले निवेदयिष्यामि।” इति।
सरलार्थ: वह सेठ पूछा – “हे अतिथि! बोलो, मेरा पुत्र कहाँ है जो तुम्हारे साथ नदी पर गया था? वह (व्यापारी) बोला – तुम्हारा पुत्र नदी तट से बाज (एक पक्षी) के द्वारा उठा लिया गया। सेठ बोला – “झूठ बोलने वाले! क्या कहीं बाज बालक को उठा सकता है? मेरा वह पुत्र मुझे समर्पित करो अन्यथा मैं राजकुल में निवेदन करूँगा।
English Translation: The eminent man asked – “O guest! Tell me, where is my son? The one who went with you to the river? The merchant said – Your son was picked up from the river bank by a hawk bird. The eminent man said – “Liar! Can an eagle pick up a child? Surrender that son of mine to me, otherwise I will request in the royal family.
सोऽकथयत्-” भोः सत्यवादिन्! यथा श्येनो बालं न नयति, तथा मूषका अपि लौहघटितां तुलां न भक्षयन्ति। तदर्पय मे तुलाम्, यदि दारकेण प्रयोजनम्।” इति। एवं विवदमानौ तौ द्वावपि राजकुलं गतौ। तत्र श्रेष्ठी तारस्वरेण अवदत्-” भोः! वञ्चितोऽहम्। वञ्चितोऽहम्! अब्रह्मण्यम्। अनेन चौरेण मम शिशुः अपहृतः’ इति।
सरलार्थ: वह कहा – हे सच बोलने वाले! जैसे बाज बालक को नहीं ले जाता है वैसे ही मूषक भी लोहा से बना तराजू नहीं खाते हैं। तो मेरी तराजू दे दो यदि पुत्र से मतलब है। इस तरह विवाद करते हुए वो दोनों राजकुल गए। वहाँ सेठ (श्रेष्ठ व्यक्ति) जोर से बोला – “अरे! मैं लूट गया! मैं लूट गया! घोर अन्याय। इस चोर के द्वारा मेरा बच्चा चुराया गया।
English Translation: He said – O you who tell the truth! Rats also do not eat scales made of iron, just as an eagle does not carry a child. So give my scales if you have an attachment to your son. While arguing like this, both of them went to Rajkul. There the eminent man said loudly – “Hey! I was robbed! I was robbed! Gross injustice. My child was stolen by this thief.
अथ धर्माधिकारिणः तम् अवदन् -‘ भो:! समपर्प्यता श्रेष्ठिसुतः”। सोऽवदत्- किं करोमि? पश्यतो मे नदीतटात् श्येनेन शिशुः अपहृतः”। इति। तच्छ्रुवा ते अवदन्-भोः! भवता सत्यं नाभिहितम्-किं श्येनः शिशुं हर्तु समर्थो भवति? सोऽअवदत्-भोः भो:! श्रूयतां मद्वच:-
सरलार्थ: फिर धर्माधिकारियों ने उसको बोला – अरे! सेठ का पुत्र दे दो। वह बोला क्या करुँ? मेरे नजर में ही नदी तट से बाज के द्वारा बालक अपहरण किया गया। यह सुनकर वे लोग बोले – अरे! आपके द्वारा सच नहीं कहा गया – क्या बाज के द्वारा बालक हरण के लिए समर्थ होता है? वह बोला अरे! अरे! मेरी बात (भी) सुनो –
English Translation: The law enforcement officers then said to him, “Hey! Give it to shroff’s son. He asked, “What should I do?” He said what should I do? The child was kidnapped by an eagle from the river bank in front of my eyes. Hearing this, they said – Oh! The truth has not been told by you – is the child capable of kidnapping through the hawk? He said hey! Hey! Listen to me too
तुला लौहसहस्रस्य यत्र खादन्ति मूषकाः।
राजन्तत्र हरेच्छ्येनो बालकं, नात्र संशय:।।
अन्वय: – राजन्, यत्र लौहसहस्रस्य तुला मूषकाः खादन्ति तत्र श्येन: बालकं हरेत्। अत्र न संशय: ।
सरलार्थ: राजन्, जहाँ किलो भर की लोहे की तराजू मूषक खाते हैं, वहां बाज बालक को हर लेता है। (तो) यहाँ शंका नहीं है।
English Translation: Hey King!, where the mouse eats a kilo of iron scales, in the same way the eagle takes away the child. So there is no doubt here.
ते अपृच्छन्-“कथमेतत्”। ततः स श्रेष्ठी सभ्यानामग्रे आदित: सर्व वृत्तान्तं न्यवेदयत्। ततः, न्यायाधिकारिणः विहस्य, तौ द्वावपि सम्बोध्य तुला – शिशुप्रदानेन तोषितवन्तः।
सरलार्थ: वे लोग पूछे -“यह कैसे”? तब वह सेठ सभासदों के सामने शुरू से सारी कहानी सुनाई। तब न्यायाधिकारियों के द्वारा हँसकर, वे दोनों को समझा-बुझाकर ‘तराजू-बालक’ के देने से वे (दोनों) संतुष्ट हुए।
English Translation: Then the judges laughingly, persuading them both satisfied them with the transaction of ‘scales-child’.
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Thik thak h 😕🙄
Bhai isse me bi pahle hi pad kar sir ke samne inteligent banta hu 😅😅
Shi hai 😂
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Said by topper (VIJAY RAWAT)😜😜🤪
Abe be*chot
Bho*adi ke chup be
Respect to teachers. Fool!!!
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Kuch accha nhi tha smjh ni aya kuch some word is not understand
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Krlo copy fir dosto ke samne padhaku ban na 😂
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Aapne anuvaad pura nahi kiya
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