This is the upgraded version of Class 6. कक्षा 7 में जितना जरुरत है, उतना शब्दरूप यहाँ दिया गया है। सबको याद करना है (रटना है)
अकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्दः
बालक
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | बालक: | बालकौ | बालका: |
द्वितीया | बालकम् | बालकौ | बालकान् |
तृतीया | बालकेन | बालकाभ्याम् | बालकैः |
चतुर्थी | बालकाय | बालकाभ्याम् | बालकेभ्यः |
पञ्चमी | बालकात् | बालकाभ्याम् | बालकेभ्यः |
षष्ठी | बालकस्य | बालकयोः | बालकानाम् |
सप्तमी | बालके | बालकयोः | बालकेषु |
सम्बोधनम् | हे बालक! | हे बालकौ! | हे बालका:! |
आकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्दः
बालिका
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | बालिका | बालिके | बालिका: |
द्वितीया | बलिकाम् | बालिके | बालिकाः |
तृतीया | बालिकया | बालिकाभ्याम् | बालिकाभिः |
चतुर्थी | बालिकायै | बालिकाभ्याम् | बालिकाभ्य: |
पञ्चमी | बालिकायाः | बालिकाभ्याम् | बालिकाभ्य: |
षष्ठी | बालिकायाः | बालिकयोः | बालिकानाम् |
सप्तमी | बालिकायाम् | बालिकयोः | बालिकासु |
सम्बोधनम् | हे बालिके! | हे बालिके! | हे बालिका:! |
अकारान्त-नपुंसकलिङ्ग-शब्दः
पुष्प
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | पुष्पम् | पुष्पे | पुष्पाणि |
द्वितीया | पुष्पम् | पुष्पे | पुष्पाणि |
तृतीया | पुष्पेन | पुष्पाभ्याम् | पुष्पैः |
चतुर्थी | पुष्पाय | पुष्पाभ्याम् | पुष्पेभ्यः |
पञ्चमी | पुष्पात् | पुष्पाभ्याम् | पुष्पेभ्यः |
षष्ठी | पुष्पस्य | पुष्पयोः | पुष्पाणाम् |
सप्तमी | पुष्पे | पुष्पयोः | पुष्पेषु |
सम्बोधनम् | हे पुष्प! | हे पुष्पे! | हे पुष्पाणि! |
इकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्दः
मुनि
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | मुनिः | मुनी | मुनय: |
द्वितीया | मुनिम् | मुनी | मुनीन् |
तृतीया | मुनिना | मुनिभ्याम् | मुनिभिः |
चतुर्थी | मुनये | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
पञ्चमी | मुने: | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
षष्ठी | मुने: | मुन्योः | मुनीनाम् |
सप्तमी | मुनौ | मुन्योः | मुनिषु |
सम्बोधनम् | हे मुने! | हे मुनी! | हे मुनयः! |
इकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्दः
मति
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मतये / मत्यै | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
पञ्चमी | मतेः / मत्याः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
षष्ठी | मतेः / मत्याः | मत्योः | मतीनाम् |
सप्तमी | मतौ / मत्याम् | मत्योः | मतिषु |
सम्बोधनम् | हे मते! | हे मती! | हे मतयः! |
इकारान्त-नपुंसकलिङ्ग-शब्दः
वारि
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
पञ्चमी | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
षष्ठी | वारिणः | वारिणोः | वारीणाम् |
सप्तमी | वारिणि | वारिणोः | वारिषु |
सम्बोधनम् | हे वारि, हे वारे! | हे वारिणी! | हे वारीणि! |
ईकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्दः
नदी
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
षष्ठी | नद्याः | नद्योः | नदीनाम् |
सप्तमी | नद्याम् | नद्योः | नदीषु |
सम्बोधनम् | हे नदि! | हे नद्यौ ! | हे नद्यः! |
उकारान्त–पुंल्लिङ्ग-शब्दः
साधु
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | साधुः | साधू | साधवः |
द्वितीया | साधुम् | साधू | साधून् |
तृतीया | साधुना | साधुभ्याम् | साधुभिः |
चतुर्थी | साधवे | साधुभ्याम् | साधुभ्यः |
पञ्चमी | साधोः | साधुभ्याम् | साधुभ्यः |
षष्ठी | साधोः | साध्वोः | साधूनाम् |
सप्तमी | साधौ | साध्वोः | साधुषु |
सम्बोधनम् | हे साधो! | हे साधू ! | हे साधवः ! |
उकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्दः
धेनु
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | धेनु: | धेनू | धेनव: |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनू: |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभि: |
चतुर्थी | धेनवे, धेन्वै | धेनुभ्याम् | धेनुभ्य: |
पञ्चमी | धेनो:, धेन्वा: | धेनुभ्याम् | धेनुभ्य: |
षष्ठी | धेनो:, धेन्वा: | धेन्वो: | धेनूनाम् |
सप्तमी | धेनौ, धेन्वाम् | धेन्वो: | धेनुषु |
सम्बोधनम् | हे धेनो! | हे धेनू! | हे धेनव:! |
उकारान्त–नपुंसकलिङ्ग-शब्दः
मधु
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
पञ्चमी | मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
षष्ठी | मधुनः | मधुनोः | मधूनाम् |
सप्तमी | मधुनि | मधुनोः | मधुषु |
सम्बोधनम् | हे मधु, हे मधो! | हे मधुनी! | हे मधूनि! |
ऋकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्दः
पितृ
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
सप्तमी | पितरि | पित्रोः | पितृषु |
सम्बोधनम् | हे पितः! | हे पितरौ! | हे पितरः! |
Note: ऐसे ही ऋकारान्त स्त्रीलिङ्ग-शब्दः जैसे- मातृ, स्वसृ इत्यादि के रूप चलते हैं, उसको अगले कक्षा में पढ़ना है। तो अभी तक आपने जितना शब्दरूप पढ़ा, ये सब को अजन्त शब्द के शब्दरूप कहते हैं। इसके अलावा व्यञ्जनान्त शब्दों के शब्दरूप भी चलते हैं। जैसे कि – नकारान्त, तकारान्त, इत्यादि। अभी इस कक्षा में इतना काफी है।
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